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जयपुर

रूस को वैक्सीन मेें भारत इस तरह कर सकता है मदद, एम्स निदेशक ने बताया

रूस ने कोविड 19 की दुनिया में पहली वैक्सीन लॉन्च कर दी है। यही नहीं, वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों में खुद रूस के राष्ट्रपति की एक बिटिया भी शामिल हैं। अब सारी दुनिया की इस वैक्सीन पर नजर है कि इसके परिणाम किस प्रकार से रहते हैं। साथ ही इस वैक्सीन की दुनिया भर में मांग भी देखी जा रही है। रूस का कहना कि वह सितंबर माह से इस वैक्सीन का मास प्रोडक्शन शूरू कर देगा।

जयपुरAug 12, 2020 / 05:59 pm

Swatantra Jain

रूस ने कोविड 19 की दुनिया में पहली वैक्सीन लॉन्च कर दी है। यही नहीं, वैक्सीन की पहली डोज लेने वालों में खुद रूस के राष्ट्रपति की एक बिटिया भी शामिल हैं। अब
सारी दुनिया की इस वैक्सीन पर नजर है कि इसके परिणाम किस प्रकार से रहते हैं। साथ ही इस वैक्सीन की दुनिया भर में मांग भी देखी जा रही है। रूस का कहना कि
वह सितंबर माह से इस वैक्सीन का मास प्रोडक्शन शूरू कर देगा। रूस ने इस वैक्सीन की जानकारी देने लिए जो वेबसाइट लॉन्च की है उसमें ये कहा गया है कि इस
वैक्सीन की दुनिया भर में डिमांड है। रूस ने कहा है कि कम से कम 20 देशों ने इस वैक्सीन में रूचि दिखाई है। जिन देशों ने रूचि दिखाई है उनमें युएई, सऊदी अरब,
इंडोनेशिया, फिलीपीन्स, ब्राजील, मैक्सिको और भारत शामिल हैं।
रूस भारत को वैक्सीन देने को तैयार

यही नहीं, रूस ने पहले ही कह दिया है कि वो भारत को अपनी वैक्सीन देने को तैयार है। रिपोर्ट के मुताबिक इस वैक्सीन में निवेश करने वाले प्रमुख संस्थान रूस के
डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिव ने कहा कि भारत और ब्राजील जैसे कई देश कोरोना के लिए रूसी वैक्सीन की बात कर रहे हैं। एक टीवी चैनल
Rossiya-24 को दे रहे इंटरव्यू के दौरान दिमित्रिव ने भारत और ब्राजील का खुलकर नाम लिया कि वे वैक्सीन लेने में दिलचस्पी रखते हैं और रूस भी इनको ये
वैक्सीन देने में रुचि रखता है, लेकिन फिलहाल रूस में इसका मास प्राडक्शन सितंबर से ही होगा। हालांकि भारत की ओर से फिलहाल ऐसा कोई आधिकारिक बयान नहीं
आया है कि इसका खुलासा हो सके। लेकिन भारत में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अगर ये वैक्सीन सेफ है यानी इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं और
इफेक्टिव हौ तो भारत को इस वैक्सीन को तुरंत हासिल कर इसका मास प्राडक्शन करना चाहिए। इससे इस वैक्सीन के ट्रायल में तेजी आएगी और भारत की मास प्रोडक्शन कपैसिटी के साथ मिलकर ये वैक्सीन जल्दी बाजार में आ जाएगी।
अमरीका और ब्रिटेन ने उठाए सवाल


फिलहाल रूस में टीके की लिमिटेड डोज तैयार हो चुकी हैं और रूस ने दावा किया है कि अपने हेल्थ वर्कर्स और शिक्षकों को वैक्सीन देने से इसकी शुरुआत करेगा। सितंबर में दूसरे देशों से भी रूस इसके अप्रूवल की बात करेगा।
इधर पारदर्शिता की कमी के चलते बहुत से देश इस पर सवाल उठा रहे हैं कि रूस ने ह्यूमन ट्रायल के सारे चरण पार किये भी हैं या नहीं! यही वजह देते हुए कोरोना से
बुरी तरह से परेशान होने के बाद भी अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से साफ मना कर दिया है। ब्रिटेन ने भी साफ कर दिया है कि वह अपने नागरिकों को रूसी वैक्‍सीन
की डोज नहीं देगा। खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का यही कहना है कि बिना पक्के डाटा के वैक्सीन दिया जाना ठीक नहीं। इन हालातों में ये भी हो सकता है कि पहले
कुछ वक्त रूस की जनता पर ही लोगों की नजरें टिकी रहेंगी कि वैक्सीन से उन पर क्या असर दिख रहा है। इसके बाद दूसरे देश भी रूसी वैक्सीन लेने की सोच सकते हैं।
रूसी एजेंसी TASS के मुताबिक रूस में यह वैक्‍सीन मुफ्त में मिलेगी। इस पर आने वाली लागत को देश के बजट में पूरा किया जाएगा। वहीं बाकी देशों के लिए वैक्सीन
की कीमत का खुलासा अभी नहीं किया गया है। इधर रुसी समाचार एजेंसी तास ने कहा है कि दुनिया के 20 देशों से रूस के पास इस वैक्सीन की एक अरब यानी 100 करोड़ डोज के ऑर्डर पहले ही मिल चुके हैं।

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