डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरिल दिमित्रिव ने कहा कि भारत और ब्राजील जैसे कई देश कोरोना के लिए रूसी वैक्सीन की बात कर रहे हैं। एक टीवी चैनल
Rossiya-24 को दे रहे इंटरव्यू के दौरान दिमित्रिव ने भारत और ब्राजील का खुलकर नाम लिया कि वे वैक्सीन लेने में दिलचस्पी रखते हैं और रूस भी इनको ये
वैक्सीन देने में रुचि रखता है, लेकिन फिलहाल रूस में इसका मास प्राडक्शन सितंबर से ही होगा। हालांकि भारत की ओर से फिलहाल ऐसा कोई आधिकारिक बयान नहीं
आया है कि इसका खुलासा हो सके। लेकिन भारत में एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि अगर ये वैक्सीन सेफ है यानी इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं और
इफेक्टिव हौ तो भारत को इस वैक्सीन को तुरंत हासिल कर इसका मास प्राडक्शन करना चाहिए। इससे इस वैक्सीन के ट्रायल में तेजी आएगी और भारत की मास प्रोडक्शन कपैसिटी के साथ मिलकर ये वैक्सीन जल्दी बाजार में आ जाएगी।
फिलहाल रूस में टीके की लिमिटेड डोज तैयार हो चुकी हैं और रूस ने दावा किया है कि अपने हेल्थ वर्कर्स और शिक्षकों को वैक्सीन देने से इसकी शुरुआत करेगा। सितंबर में दूसरे देशों से भी रूस इसके अप्रूवल की बात करेगा।
बुरी तरह से परेशान होने के बाद भी अमेरिका ने रूस की वैक्सीन लेने से साफ मना कर दिया है। ब्रिटेन ने भी साफ कर दिया है कि वह अपने नागरिकों को रूसी वैक्सीन
की डोज नहीं देगा। खुद वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का यही कहना है कि बिना पक्के डाटा के वैक्सीन दिया जाना ठीक नहीं। इन हालातों में ये भी हो सकता है कि पहले
कुछ वक्त रूस की जनता पर ही लोगों की नजरें टिकी रहेंगी कि वैक्सीन से उन पर क्या असर दिख रहा है। इसके बाद दूसरे देश भी रूसी वैक्सीन लेने की सोच सकते हैं।
रूसी एजेंसी TASS के मुताबिक रूस में यह वैक्सीन मुफ्त में मिलेगी। इस पर आने वाली लागत को देश के बजट में पूरा किया जाएगा। वहीं बाकी देशों के लिए वैक्सीन
की कीमत का खुलासा अभी नहीं किया गया है। इधर रुसी समाचार एजेंसी तास ने कहा है कि दुनिया के 20 देशों से रूस के पास इस वैक्सीन की एक अरब यानी 100 करोड़ डोज के ऑर्डर पहले ही मिल चुके हैं।