जयपुर

राजस्थान में भारत-पाक बॉर्डर के पास पहली बार हाइवे पर उतरे वायुसेना के लड़ाकू विमान

भारत-पाक सरहद से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान की जालोर-बाड़मेर सीमा पर गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से एक नया अध्याय जुड़ गया।

जयपुरSep 09, 2021 / 12:44 pm

Santosh Trivedi

जयपुर। भारत-पाक सरहद से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राजस्थान की जालोर-बाड़मेर सीमा पर गुरुवार को राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से एक नया अध्याय जुड़ गया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय राजमार्ग-925 के गांधव-बाखासर सेक्शन पर 3 किलोमीटर लंबी emergency landing strip का उद्घाटन किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने कहा कि वायुसेना हमेशा देश की अपेक्षाओं पर खरा उतरी है। आज का दिन ऐतिहासिक है। अब सड़क पर भी विमान उतरेंगे।

उद्घाटन के बाद वायुसेना के लड़ाकू विमान सीधे हाइवे पर उतरे। सुखोई, जगुआर और हरक्यूलिस ने आसमान में अपना दम दिखाया और फिर हाइवे पर लैंडिंग की। इमरजेंसी हाइवे हवाई पट्टी का उद्घाटन करने के लिए दोनों केंद्रीय मंत्री एक साथ दिल्ली से हरक्यूलिस विमान में सवार होकर बाड़मेर पहुंचे। भातरमाला प्रोजेक्ट के तहत बनी इस ईएलएफ पर आपात परिस्थितियों में भारतीय वायुसेना के विमानों को उतारा जा सकेगा। यह पहली बार है, जबकि किसी राष्ट्रीय राजमार्ग का विमानों की इमरजेंसी लैंडिंग के लिए उपयोग किया जाएगा।

तीन हैलीपेड बनाए
इस एमरजेंसी लैंडिंग स्ट्रिप के अलावा थल और वायु सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुये कुंदनपुरा, सिंघानिया और बाखासर गांवों में तीन हेलीपैड भी बनाए गए हैं।

पूर्वाभ्यास में उतारे तीन विमान
बुधवार को यहां वायुसेना की निगरानी में रिहर्सल के तौर पर 3 लड़ाकू विमान उतारे गए। सुबह सबसे पहले हरक्यूलिस प्लेन को उतारा गया। इसके बाद सुखोई और मिग की भी लैंडिग हुई। इसके लिए दोपहर 2 बजे तक आवागमन बंद कर दिया गया।

इएलएफ की खासियत
– 40 किलोमीटर दूर है भारत-पाक सीमा से
– 32.95 करोड़ रुपए की आई लागत
– 3 किमी लंबी और 33 मीटर चौड़ी है ईएलएफ
– 2 पार्किंग ईएलएफ के दोनों ओर तैयार
– 19 महीने में बनी ईएलएफ, जुलाई 2019 में हुआ था काम शुरु

सामरिक तौर पर यह फायदा
– पश्चिमी सीमा पर सेना का निगरानी तंत्र मजबूत होगा
– देश का बुनियादी आधारभूत ढ़ांचा बेहतर होगा

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