चंद दिनों में बर्फबारी शुरू हो जाएगी। इसके बाद पाकिस्तान अपने प्रशिक्षित आतंकियों को भेज नहीं पाएगा। ऐसे में कश्मीर घाटी में बवाल खडा करने का यही सबसे बेहतर समय है। दूसरा तालिबान में सत्ता आने के साथ पाकिस्तान की ताकत बढ गई और वह अब उस ताकत उपयोग एलओसी पर करने को तत्पर है।
1990 के दशक में पाकिस्तान आतंकियों को प्रशिक्षित कर आतंक फैलाने के लिए भेजता था लेकिन चीनियों के साथ पाक दोस्ती अब आतंक का जबरदस्त काकटेल बनकर उभरी हैं। आतंकियों के पास से मिल रही चीनी ग्रेनेड इस बात का साफ सुबूत हैं। पाकिस्तान चीनी खुफिया एजेंसी एमएसएस चीफ चेन वेंनक्विंग की रणनीति पर चल रहा है। भारतीय सेना दोनों तरफ खींची रहे इसके लिए चीन ने एलएसी सक्रिय कर दी और पाकिस्तान ने एलओसी।
1 मुठभेड स्थल का बडा दायरा यानी योजनाबद्ध तरीके से अपने स्थल का चुनाव
2 15 दिन से चल रही मुठभेड यानी आतंकियों को मिला है युद्ध स्तरीय प्रशिक्षण
3 शहर के बजाय जंगल में मुठभेड यानी पहले से आकर बैठे थे विदेशी आतंकी
4 जंगल में कई जगहों पर मुठभेड यानी आईएसआई ने तैयार की युद्धक योजना
5 15 दिन से रही मुठभेड यानी स्थानीय स्तर पर मिला है बडा सहयोग और राशन
6 तालिबानियों के आते ही लश्कर व जैश आतंकियों का अफगानिस्तान में प्रशिक्षण