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जयपुर

Indian Railway : रेलवे दुर्घटना रोकेगा फॉग डिवायस, कई ट्रेनों में लगाएगा रेलवे

Fog Safety Device Will Prevent Rail Accidents. सर्दियों में कोहरे के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फॉग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा। दुर्घटनाओं पर अंकुश लगने के साथ ही ट्रेन भी अधिकतम 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। जीपीएस पर आधारित यह डिवाइस कोहरा में आडियो और वीडियो दोनों माध्यमों से लोको पायलटों को सतर्क करती है। उत्तर पश्चिम रेलवे में ट्रेन चालकों को सतर्क करने के लिए ट्रेनों के इंजन में फॉग सेफ डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

जयपुरNov 23, 2021 / 01:13 am

Anand Mani Tripathi

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Fog Safety Device Will Prevent Rail Accidents

Fog Safe Device Will Prevent Rail Accidents : सर्दियों में कोहरे के कारण होने वाली रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फॉग डिवाइस का इस्तेमाल किया जाएगा। दुर्घटनाओं पर अंकुश लगने के साथ ही ट्रेन भी अधिकतम 75 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। जीपीएस पर आधारित यह डिवाइस कोहरा में आडियो और वीडियो दोनों माध्यमों से लोको पायलटों को सतर्क करती है।
उत्तर पश्चिम रेलवे में ट्रेन चालकों को सतर्क करने के लिए ट्रेनों के इंजन में फॉग सेफ डिवाइस लगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। मुख्य जनसंपर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण ने बातया कि उत्तर पश्चिम रेलवे के 27 रेल खण्डों को कोहरे की अधिकता वाले क्षेत्रों के रूप में चिन्हित किया गया है। कोहरे से प्रभावित स्टेशनों पर विजीबिलिटी टेस्ट आब्जेक्ट (VTOs) की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है। इससे स्टेशन पर दृश्यता को जांचा जाएगा।

उत्तर पश्चिम रेलवे में 712 डिवायस
इसके साथ ही रेलवे घने कोहरे वाले रेलखण्डों में चलने वाली सभी रेलसेवाओं के लोको पायलट क्रू को फोग सेफ्टी डिवाईस उपलब्ध करा रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर 712 फोग सेफ्टी डिवायस क्रू लॉबी में उपलब्ध करवाये गए है। इसके अलावा 175 डिवायस और उपलब्ध करवाने की प्रक्रिया जारी है।
ऐसे काम करेगा फॉग डिवाइस
इस डिवाईस को इंजन पर लगा दिया जाता है। यह ऑन होने के बाद जीपीएस प्रणाली द्वारा उस खण्ड में स्थित सभी सिग्नलों की स्थिति के बारे में लोको पायलट को पहले ही अवगत कराता रहता है। फॉग डिवाइस में सिग्नल से पहले स्टेशन और समपार फाटक का नाम और नंबर गूंजने लगता है। स्क्रीन पर रेल लाइन के आगे के सिग्नल, फाटक और स्टेशन भी दिखने लगते हैं। इससे पायलट अपनी गाड़ी की गति को नियंत्रित कर सरंक्षा करता है।
रेलवे लगा रहा है चूना
ट्रेन के सबसे पीछे लगने वाले कोच में लालबत्ती की जगह फ्लैशिंग टेल लैंप लगने लगे हैं। रेललाइनों पर पटाखों का चूने की मार्किंग का प्रयोग होने लगा है। लाइन के किनारे खंभों पर रेट्रो रेट्रो रिफ्लेक्टर स्ट्रिप भी लगने लगे हैं। कोहरे वाले रेलखण्ड के स्टेशनों, समपार फाटकों एवं पूर्व चिन्हित जगहों पर डेटोनेटर (पटाखे) की आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है। संकेतको की दृष्यता ठीक से दिखे इसके लिए पेटिंग और चमकीले साईन बोर्ड तथा संकेतको के पास गिट्टियों को चुने से रंगा गया है।
घर से निकलने से पहले चेक करें ट्रेन
उत्तर पश्चिम रेलवे कोहरे के मौसम में रेल यात्रियों की संरक्षा एवं सुरक्षा हेतु कटिबद्ध है। कोहरे की अधिकता वाले रेलखण्डों में गाडियॉ देरी से संचालित हो सकती है। अतः यात्रा शुरू करने से पूर्व रेलवे की अधिकृत वेबसाईट www.indianrail.gov.in या फिर NTES पर अपनी ट्रेन की वर्तमान स्थिति देखकर ही स्टेशन पर जाएं और असुविधा से बचें।

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