अगर बात राजस्थान की करें तो यहां की महिलाएं भी किसी पुरुष से कम नहीं हैं। वर्तमान समय की इन राजस्थानी महिलाओं ने प्रदेश के साथ-साथ देश का भी नाम रोशन किया है। आज ये शख्सियतें आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं, ये इनका रुतबा ही है जिसने विश्व पटल पर जहां भारत का मान बढ़या तो वहीं ये दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं। हम आपको राजस्थान की कुछ ऐसी ही महिलाओं से रुबरु करवा रहे हैं, जिनकी उपल्बधियों को जान आप भी उन्हें करेंगे सलाम…
चंदा कोचर- वुडरो विल्सन अवार्ड पाने वाली पहली भारतीय महिला का जन्म 17 नवम्बर 1961 को राजस्थान के जोधपुर में हुआ है। चंदा कोचर ने एमबीए और कॉस्ट एकाउन्टेन्सी में शिक्षा हासिल कर जमनालाल बजाज प्रबन्धन संस्था से प्रबन्धन के क्षेत्र में मास्टर डिग्री प्राप्त की। साल 2006 में इनकी योग्यता को देखते हुए प्राइवेट सेक्टर प्रमुख बैंक आईसीआईसीआई ने इन्हें अपना उप प्रबंध निदेशक बनाया। इतना ही नहीं भारतीय उद्योग जगत और बैंकिंग के क्षेत्र में इनका नाम दुनियाभर में मशहूर है। अपने इसी काबिलियत के कारण ये दुनिया की शीर्ष महिलाओं की सूची में शामिल की जा चुकी हैं। इसके अलावा चंदा कोचर को उनकी उपलब्धियों के कारण कई राषट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से समय-समय पर नवाजा भी गया है। फिलहाल वो आईसीआईसीआई बैंक की मुख्य कार्यकारी ऑफिसर (सीईओ) और प्रबन्ध निदेशक (एम डी) हैं।
तनुश्री पारीख- राजस्थान के बीकानेर की रहने वाली तनुश्री पारीख ने ना केवल खुद को इस पुरुष समाज साबित किया। बल्कि अपनी एक अलग पहचान भी बना चुकी हैं। उन्होंने 2014 में यूपीएससी असिस्टैंट कमांडेंट की परीक्षा पास कर बीएसएफ के 40 साल के इतिहास में पहली महिला असिस्टैंट कमांडेंट बनने का गौरव प्राप्त किया है। इसके साथ ही वह राजस्थान में ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ अभियान की ब्रांड एम्बेसडर भी हैं। तनुश्री वर्तमान में बीएसएफ में कैमल सफारी का नेतृत्व कर रही हैं, साथ ही सीमा से लगे ग्रामीण इलाकों में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए महिला सशक्तिकरण और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश भी दे रही हैं।
कालबेलिया नर्तकी गुलाबो- राजस्थान की आन, बाण, शान कही जाने वाली प्रसिद्ध कालबेलिया नर्तकी गुलाबो आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है। अपने नृत्यकला के जरिए इन्होंने राजस्थान ही नहीं बल्कि यहां की कला और संस्कृति को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर नया पहचान देने में कामयाब रही। इतना ही नहीं इन्होंने अपने नृत्य का जलवा अब कई देशों में दिखा चुकी हैं। इन सभी कठिनाइयों से लड़ते हुए जहां गुलाबो सपेरा ने कालबेलिया डांस को दुनिया पहचान दिलाई तो वहीं महिलाओं के संघर्ष के बाद जीत की कहानी भी लिखी। डांसर गुलाबो सपेरा को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पद्मश्री अलंकरण से सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा और कई उलब्धियों से नवाजा गया है।
कृष्णा पूनिया- कृष्णा पूनिया एक भारतीय डिस्कस थ्रोअर है। इन्होंने 11 अक्टूबर 2010 में दिल्ली में आयोजित किये राष्ट्रमंडल खेलों में फाइनल मैच में क्लीन स्वीप कर 61.51 मीटर में स्वर्ण पदक जीता था। इसके बाद 2011 में भारत सरकार ने नागरिक सम्मान में इन्हें पद्मश्री का पुरस्कार से नवाजा था। कृष्णा पूनिया का जन्म 05 मई 1977 को एक जाट परिवार में अग्रोहा, हिसार, हरियाणा में हुआ। पूनिया की शादी 2000 में राजस्थान के चुरू जिले के गागर्वास गांव के रहने वाले वीरेन्द्र सिंह पूनिया से हुई। इनके पति जयपुर में भारतीय रेलवे में कार्यरत है। कृष्णा ने अपनी पढ़ाई साइकोलॉजी में कनोडिया गल्र्स कॉलेज जयपुर से की थी।
अपूर्वी चंदेला- साल 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को स्वर्ण पदक दिलाने वाली अपूर्वी चंदेला आज पूरी दुनिया में अपनी निशानेबाजी के लिए जानी जाती है। राजस्थान की रहने वाली अपूर्वी शूटिंग में सोना हासिल ना केवल प्रदेश का नाम रोशन किया, बल्कि दुनिया के नक्शे पर भारत का मान भी बढ़ाया। इसके साथ ही शूटिंग में उन्होंने कई मौकों पर देश का जीत दिलाई है। उनके इसी योगदान के लिए उन्हें 2016 में अर्जुन अवार्ड से नवाजा भी जा चुका है।
ईला अरुण- अपने अलग अंदाज से गायन की दुनिया में मशहूर ईला अरुण आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। लोकगीत और पॉप गीतों के संगम को बखूबी मंच पर एक अलग अंदाज में पेश करने वाली ईला का जन्म राजस्थान के जयपुर में हुआ है। ईला अरुण ने ना केवल खुद को एक सफल गायिका के रुप में स्थापित किया, बल्कि गीतकार, लेखिका, फिल्म और टीवी निर्माता के तौर पर भी एक पहचान बना चुकी हैं। तो वहीं इनको आज बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड की दुनिया में एक विशेष तौर पर अपनी कला के लिए मशहूर हो चुकी हैं। तो वहीं इनके गानों में राजस्थान माटी की महक बखूबी देखने को मिल जाती है।
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