देश की अदालतें ब्रिटिशकालीन, जरूरी सुविधाओं का अभाव
भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन ने देश की अदालतों में आधारभूत संरचनाओं एवं प्रशासकीय कर्मचारियों की कमी और बढ़ते लंबित मामलों पर एक बार फिर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए देश में राष्ट्रीय न्यायिक बुनियादी संरचना निगम (एनजेआईसी) स्थापित करने की आवश्यकता जताई है।
देश की अदालतें ब्रिटिशकालीन, जरूरी सुविधाओं का अभाव
देश की अदालतें ब्रिटिशकालीन, जरूरी सुविधाओं का अभाव
न्यायपालिका : न तो वादियों-प्रतिवादियों के बैठने की जगह और न वकीलों के लिए
इंफ्रास्ट्रक्चर पर सीजेआई की रिपोर्ट कानून मंत्री को सौंपेंगे
नई दिल्ली. भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमन ने देश की अदालतों में आधारभूत संरचनाओं एवं प्रशासकीय कर्मचारियों की कमी और बढ़ते लंबित मामलों पर एक बार फिर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए देश में राष्ट्रीय न्यायिक बुनियादी संरचना निगम (एनजेआईसी) स्थापित करने की आवश्यकता जताई है। उन्होंने बताया कि वह जल्द ही सभी अदालतों के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर की रिपोर्ट विधि एवं न्याय मंत्री को सौंपने वाले हैं।
न्यायाधीश रमन ने भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) की ओर से शनिवार को आयोजित सम्मान समारोह में कहा कि देश की अदालतें ब्रिटिशकालीन हैं…उनमें जरूरी सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने कहा कि इन भवनों में न तो वादियों और प्रतिवादियों के लिए बैठने की जगह है, न वकीलों के लिए।
बुनियादी सुविधाओं का अभाव
उन्होंने कहा कि इन अदालतों में महिलाओं वकीलों तक के लिए बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश में एनजेआईसी की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा- ‘मैंने देश की सभी अदालतों के लिए जरूरी बुनियादी संचनाओं के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है और इसे जल्द ही विधि एवं न्याय मंत्री को सौंप दूंगा।’
महिलाओं की नगण्य भागीदारी
न्यायपालिका में महिलाओं की नगण्य भागीदारी को लेकर भी न्यायाधीश रमन ने असंतोष जताया। उन्होंने कहा कि गिनती की महिलाओं को उच्च न्यायपालिका में मौका मिलता है। बहुत दिक्कतों के बाद सुप्रीम कोर्ट में महज 11 प्रतिशत महिला न्यायाधीश हैं। उन्होंने उच्च न्यायालयों में भी न्यायाधीशों के खाली पदों को भरने की आवश्यकता जताते हुए कहा कि कॉलेजियम ने इसके लिए कल ही 82 नामों की सिफारिश की है और सरकार से अनुरोध है कि वह इस पर त्वरित निर्णय ले।
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