अपीलार्थीपक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 26 मार्च को आरसीए को आइपीएल क्रिकेट मैच के पास बांटने से रोक दिया, जो कि गलत है। कोर्ट के रिकॉर्ड पर ऐसा कोई प्रार्थना पत्र नहीं है, जिसमें पास वितरण में गड़बड़ी की शिकायत हो। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट 14 मार्च को राज्य व जिला क्रिकेट संघों से जुडे विवादों पर किसी भी कोर्ट या ट्रिब्युनल में सुनवाई पर पाबंदी लगा चुका है। उस आदेश पर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने ध्यान ही नहीं दिया। आरसीएस, बीसीसीआई व राजस्थान रॉयल्स के बीच एक करार है, जिसके तहत आरसीए को 15 प्रतिशत पास मिलते हैं और वह उनको बांटने के लिए स्वतंत्र है।
जयपुर जिला क्रिकेट संघ की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि एकलपीठ के सामने संघ की याचिका चल रही है और उन्होंने याचिका वापस लेने की अनुमति कोर्ट से मांगी थी, लेकिन एकलपीठ ने इसे अनदेखा कर दिया। सहकारिता विभाग की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव ने कहा कि मैच के आयोजन में दखल नहीं किया जाए। आरसीए के एक अन्य गुट की ओर से अधिवक्ता एस एस होरा ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि सभी पक्षों को सुनकर आदेश दिया है, जो सही है। हाईकोर्ट की खण्डपीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद एकलपीठ के आदेश को सही ठहराने से इनकार कर दिया। साथ ही, यह भी माना कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखा। यह भी कहा कि किसी को पास को लेकर कोई शिकायत हो तो वह हाईकोर्ट की एकलपीठ में प्रार्थना पत्र पेश करे।