मीडिया का जनपक्ष होना जरूरी: प्रो. केजी सुरेश
प्रो. मधुकर श्याम चतुर्वेदी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान
मीडिया का जनपक्ष होना जरूरी: प्रो. केजी सुरेश
जयपुर, 1 अगस्त
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता और संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति के जी सुरेश ने कहा है कि मीडिया का कोई पक्ष या विपक्ष नहीं होता, उसे जनपक्ष होना चाहिए। हर समाचार पत्र या मीडिया संस्थान अपनी एक विशिष्ट विचारधारा से संचालित हो सकता है लेकिन खबरों में यह विचारधारा नहीं झलक नहीं चाहिए। उसके लिए उसके संपादकीय पृष्ठ या कॉलम निर्धारित होते हैं। प्रो. सुरेश ने यह बात प्रो. मधुकर श्याम चतुर्वेदी की स्मृति में आयोजित दसवें व्याख्यान समारोह में व्यक्त किए। यह आयोजन कम्यूनिकेशन टुडे एवं राजस्थान विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग की ओर से किया गया था। उन्होंने कहा कि मीडिया का कॉर्पोरेटाइजेशन होने के कारण संपादक की संस्था हाशिए पर चली गई है। इसके बावजूद मीडिया ने लोकतांत्रिक जीवन मूल्यों को बनाए रखने में अपनी महती भूमिका का निर्वाह किया है। उन्होंने कहा कि हमें विकास को भी परिभाषित करना पड़ेगा कि हम विकास किसको कह रहे हैं। यह सही है कि विकास संबंधी मुद्दे सामान्यत: मीडिया में सिंगल डिजिट से अधिक प्रकाशित प्रसारित नहीं हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में मीडिया को बेजुबानों की जुबान बनने की दिशा में आगे बढऩा होगा। उन्होंने कहा मीडिया में कॉर्पोरेशन और कॉलेबरेशन होना चाहिए। प्रो. सुरेश का मानना था विषय वस्तु की विविधता, गुणवत्ता और विश्वसनीयता आज की प्रमुख आवश्यकता है। प्रारंभ में राजस्थान विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग की पूर्व प्रोफेसर डॉक्टर इनाक्षी चतुर्वेदी ने डॉ. मधुकर श्याम चतुर्वेदी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विचार व्यक्त किए। राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र के पूर्व अध्यक्ष एवं कम्यूनिकेशन टुडे के संपादक डॉ. संजीव भानावत ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि मीडिया भी इसी समाज का हिस्सा है और जिस तरह से समाज की अन्य लोकतांत्रिक संस्थाओं में मूल्यों का क्षरण हुआ है तो मीडिया में उससे अछूता नहीं है । डिपार्टमेंट ऑफ लाइफ लॉन्ग लर्निंग के निदेशक डॉक्टर जयंत सिंह प्रो. मधुकर श्याम चतुर्वेदी को एक प्रखर शिक्षाविद एवं संघर्षशील और जुझारू शिक्षक के रूप में याद किया।