पत्रिका : राजस्थान पुलिस एक इंस्पेक्टर ने आत्महत्या कर ली। आपका क्या कहना है? डीजीपी : जो ईमानदार होता है, वह संवेदनशील भी होता है और किसी की भी सुनता नहीं है। जो सही होता है, वही करता है। 24 में से 24 घंटे ईमानदारी से ड्यूटी करने के बाद जब किसी बात को लेकर ऐसे ईमानदार अफसर को टोका जाता है, तो उसे लगता है कि चौबीस घंटे ईमानदारी से ड्यूटी करने पर भी उसे ही गलत बताया जा रहा है। विष्णु भी ऐसे अफसरों में से एक था। आत्महत्या के तात्कालीक कारण, अनुसंधान के बाद ही पता चलेंगे। देखा जाए तो एक घटना में दो पक्ष होते हैं। दोनों ही तरफ के लोग अपने-अपने पक्ष में जांच करवाने के लिए अनुसंधान अधिकारी पर दबाव बनाते हैं। यह दबाव स्थानीय राजनीतिक, सामाजिक और अन्य किसी भी तरह का हो सकता है। जिस पक्ष का दाव लगता है, वह उतनी ही ऊंची एप्रोच लगाने में जुटा रहता है। लेकिन अनुसंधानिक अधिकारी पर सबूतों के आधार पर निष्पक्ष जांच करने का दबाव होता है। साथ में दोनों पक्षों के दबाव भी झेलने पड़ते हैं। यहां तक की अपराधी भी पुलिस पर दबाव बनाने से पीछे नहीं हटते। अपराधी धमकियां देकर दबाव बनाने का प्रयास करता है। लेकिन जांबाज पुलिस अफसर ऐसे अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाते हैं। एक छोटा अपराध होने पर भी आमजन हो या फिर अन्य कोई भी, सभी पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर देते हैं।
पत्रिका : एक एडवोकेट से दो दिन पहले ही वाट्सऐप चेट पर एसएचओ ने गंदी राजनीति की बात कहते हुए अफसर कमजोर हैं, कहा था, यह मैसेज किस संदर्भ में था? डीजीपी : ऐसा जानकारी में आया है। इसके लिए एडीजी क्राइम के निर्देशन में आइपीएस विकाश शर्मा अनुसंधान कर रहे हैं। प्रभारी एडीजी राजीव शर्मा और आइजी बीकानेर जोस मोहन को भी सादलपुर भेजा है। कुछ दिनों में क्राइम ब्रांच पूरी जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी, तब हकीकत सामने आएगी। एसएचओ को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले जो कोई भी हो, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
पत्रिका : पुलिस पर दबाव किस तरह आता है? डीजीपी : पुलिस ने जांबाज एसएचओ खोया है, लेकिन अब एसएचओ की आत्महत्या को लेकर कई पक्ष अपना-अपना फायदा देखते हुए पुलिस पर कई तरह से दबाव बनाने का प्रयास करेंगे। पुलिस पर ऐसे ही दबाव आते रहते हैं।
पत्रिका : ऐसी घटनाओं से ईमानदार पुलिसकर्मियों का मनोबल गिरता है, उनके लिए क्या संदेश है? डीजीपी : पुलिस की वर्दी में रोजमर्रा का ही दबाव रहता है। सड़क पर बिना हेलमेट बाइक चलाने वाले को पकडऩे पर वह भी पकडऩे वाले पुलिसकर्मी को देख लूंगा, यही धमकी देता है। किसी भी घटना में दबाव किसी भी तरह का आए, लेकिन निष्पक्ष और ईमानदारी से काम करें। पुलिस में कई स्तर पर अधिकारी उनकी बात सुनने को हैं। अपने मन की बात साथियों से भी शेयर करें। जिस तरह से कुख्यात अपराधियों को पकड़ते हैं, उसी तरह से ऐसे छोटे मोटे दबावों पर ध्यान नहीं दें।