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पकड़ते ही बिल्लू बोला, पहले ही मार देना चाहिए था…उसे तो मरना ही था…हिस्ट्रीशीटर प्रदीप यादव की हालत का जिम्मेदार अजय ही थी

locationजयपुरPublished: Oct 15, 2021 09:42:51 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

अजय यादव हत्याकांड : शूटर बिल्लू व आशीष गिरफ्तार, प्रकरण में पंजाब निवासी शूटर बलजिन्द्र की तलाश, दोनों शूटरों के साथी हिस्ट्रीशीटर मुकेश ने गुरुवार को कर ली थी आत्महत्या

The flame of disturbance in the saree of Anganwadi

The flame of disturbance in the saree of Anganwadi

जयपुर. बनीपार्क थाना पुलिस ने बहुचर्चित अजय यादव हत्याकांड में शामिल मुख्य दो शूटर विजेन्द्र उर्फ बिल्लू जाट और आशीष शेखावत उर्फ अक्षय को गिरफ्तार कर लिया। दोनों शूटर फरारी के दौरान रुपए खत्म होने पर करधनी स्थित लालचंदपुरा में गुरुवार शाम को एक परिचित से रुपए लेने पहुंचे थे, तभी पुलिस ने घेराबंदी कर दोनों को पकड़ लिया। एडिशनल पुलिस कमिश्नर अजयपाल लांबा ने बताया कि करणी विहार के हस्तिनापुर निवासी विजेन्द्र उर्फ बिल्लू जाट और मूलत: फुलेरा हाल खातीपुरा स्थित तारा नगर निवासी आशीष शेखावत उर्फ अक्षत को गिरफ्तार किया है।
पकडऩे के बाद भी कोई गम नहीं

एडिशनल डीसीपी रामसिंह ने बताया कि दोनों शूटरों को गिरफ्तार किया, तब विजेन्द्र उर्फ बिल्लू ने कहा कि अजय को तो पहले ही मार देना चाहिए था…उसे तो मरना ही था…हिस्ट्रीशीटर प्रदीप यादव की हालत का जिम्मेदार अजय ही थी। आरोपी बिल्लू हिस्ट्रीशीटर प्रदीप को अपना गुरु मानता है और वर्ष 2020 में प्रदीप के गोली लगने के बाद हॉस्पिटल और घर पर उसकी सेवा बिल्लू ही करता था। प्रदीप के पेरेलेसिस होने का जिम्मेदार अजय को ही मानता था।
कई माह से थी हत्या करने की साजिश

एडिशनल डीसीपी रामसिंह ने बताया कि पूछताछ में दोनों शूटरों ने बताया कि वारदात के समय तीन पिस्टल और दो देशी कट्टे लेकर पहुंचे थे। ताकि किसी भी कीमत पर अजय बच नहीं सके। अजय की हत्या के लिए कई माह से साजिश रच रहे थे। चूरू में विजेन्द्र की एक परिचत के जरिए पंजाब के भटिंडा निवासी बलजिन्द्र सिंह उर्फ बाबा से संपर्क हुआ। पंजाब में कई मुकदमों में वांटेड बाबा को फरारी काटनी थी और विजेन्द्र, हिस्ट्रीशीटर मुकेश, प्रदीप और आशीष को अजय की हत्या करवानी थी। तब विजेन्द्र ने बाबा को 4 सितम्बर को जयपुर करणी विहार स्थित अपने घर बुला लिया और खुद 7 सितम्बर को चूरू से जयपुर पहुंच गया।
अजय के घर के सामने वाली होटल में ठहरे

हिस्ट्रीशीटर मुकेश के जीजा राजेन्द्र को अजय की रैकी करना सौंपा गया। तब तीन चार जगह अजय के जाने की जानकारी मिली। उसके घर के बाहर भी रैकी की। विजेन्द्र ने चूरू के पते पर ऑनलाइन 5000 रुपए में जीपीएस सिस्टम मंगवाया और उसे अजय की गाड़ी में लगाने के लिए तीन दिन तक मशक्कत की। सफल नहीं होने पर अजय के घर के सामने स्थित होटल में 16 सितम्बर को बाबा और अक्षय ने एक कमरा किराए पर लिया। 17 सितम्बर की देर रात 3 बजे अजय की स्कार्पियो में जीपीएस सिस्टम लगा दिया। ताकि उसकी रैकी आसानी हो जाए।
तीन बार बच गया, चौथी बार में मारा

आरोपियों ने बताया कि तीन बार अजय को मारने की कोशिश की, लेकिन कभी वह परिवार के साथ रहता तो कभी बेटे व दोस्तों के साथ। उसकी हत्या करने के इंतजार में सेंट्रल पार्क और पानीपेच तिराहे के पास घंटों बैठे रहते थे। 21 सितम्बर को जीपीएस से सूतमील फाटक पर पहुंचने की जानकारी लगी। तभी वहां पहुंच गए और अजय की हत्या कर स्कार्पियो से जीपीएस भी साथ ले गए।
पहले से तय था अलग-अलग भाग जाएंगे

पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि हत्या के बाद मुकेश व बाबा विश्वकर्मा रोड नंबर 14 पहुंचकर दिल्ली की तरफ चले गए। वहीं विजेन्द्र व अक्षय मुरलीपुरा से झोटवाड़ा पहुंचे। यहां कपड़े खरीदकर ऑटो से अजमेर रोड 200 फीट एक्सप्रेस चौराहा पर पहुंचे।
हरिद्वार व ऋषिकेश तक काटी फरारी

आरोपी विजेन्द्र व अक्षय ने बताया कि 21 सितम्बर को दोनों अजमेर पहुंचे। 22 सितम्बर को पाली और यहां से 24 सितम्बर को गुडगांव पहुंच गए। 25 को शाहजहांपुर चले गए। यहां से 27 सितम्बर को दिल्ली होते हुए 29 सितम्बर को हरिद्वार चले गए। 13 दिन हरिद्वार ठहरने के बाद ऋषिकेश पहुंच गए। अब रुपयों की जरूरत होने पर गुरुवार को जयपुर पहुंचे थे। तब पुलिस ने उनको पकड़ लिया।
चार टीम लगातार पीछा करने में जुटी

बनीपार्क एसएचओ नरेन्द्र, तत्कालीन डीएसटी टीम के निरीक्षक नरेन्द्र खींचड़, वैशाली नगर थाने के उपनिरीक्षक राजेश कुमार और चित्रकूट थाने के उपनिरीक्षक बासुदेव के नेतृत्व में 35 पुलिसकर्मी लगातार शूटरों का पीछा करने में जुटे थे।
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