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जयपुर

Metro की राह में Jaipur Bus का अडंगा

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जयपुरDec 07, 2019 / 12:42 pm

Bhavnesh Gupta

Metro की राह में Jaipur Bus का अडंगा

Metro की राह में Jaipur Bus का अडंगा

जयपुर। जयपुर मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने यात्रियों की संख्या में अपेक्षित बढ़ोत्तरी नहीं होने पर चिंता जताई है। प्रबंधन का तर्क है कि मेट्रो रूट के समानांतर ही जेसीटीएसएल की बसें भी संचालित हो रही हैं, इससे मेट्रो में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। बताया जा रहा है इस मामले में जेसीटीएसएल, जेएमआरसी और आरटीओ, यातायात पुलिस चारों मिलकर वास्तविक स्थिति का आकलन करेंगे। यह रिपोर्ट स्टेयरिंग कमेटी के पास जाएगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि इस रूट पर जेसीटीएसएल की बसों में कमी की जाए या नहीं।
अब खुलेंगे सार्वजनिक परिवहन के नए रूट

शहर की सड़क पर 12 फीसदी सालाना की दर से वाहनों का बोझ बढ़ता जा रहा है। लगातार जाम के हालात बने हुए हैं। इस परेशानी निजात दिलाने के लिए सार्वजनिक परिवहन का दायरा बढ़ाने पर काम शुरू हो गया है। इसके लिए शहर में 12 नए रूट चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें बसों से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा आठ सीटर तिपहिया और चौपहिया वाहनों की संख्या बढ़ाई जाएगी। कुछ ऐसे रूट भी हैं, जहां यात्रियों की संख्या बढ़ने के कारण परिवहन के साधन कम पड़ने लगे हैं, वहां इनकी संख्या बढ़ाने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी गई है। बताया जा रहा है इस मामले में ट्रेफिक कंट्रोल बोर्ड ने भी तत्काल समाधान की जरूरत जताई है।
ये नए रूट, लोगों को मिलेगी सीधी कनेक्टिविटी…
जीनस फैक्ट्री से नींदड़ मोड- 1 सिटी बस
अजमेरी गेट से रेनवाल- 1 जेसीटीएसएल
चांदपोल से बेगस- 1 जेसीटीएसएल
बड़ी चौपड़ से रामगढ़- 1 जेसीटीएसएल
चांदपोल से मुहाना- 1 जेसीटीएसएल
नारायण विहार से नायला- 1 जेसीटीएसएल
नांगल से गलता गेट- 1 जेसीटीएसएल
शिप्रा पथ से जयसिंहपुरा खोर- 1 जेसीटीएसएल
गिरधारीपुरा से गलतागेट- 1 जेसीटीएसएल
मालवीय नगर से ब्रहृमपुरी- 1 जेसीटीएसएल
क्राउन प्लाजा से सीतापुरा पुलिया- 1 टैम्पो
अग्रवाल फार्म से अग्रवाल फार्म सर्कुलर मार्ग- 1 टैम्पो
ये भी बढ़ेंगे
आठ सीटर तिपहिया वाहन- 60 से 70
आठ सीटर चौपहिया वाहन- 70

8 जोन में ई-रिक्शा पर फैसला नहीं
ई-रिक्शा का व्यवस्थित तरीके से संचालन हो, इसके लिए शहर को आठ जोन में बांटने की जरूरत जताई जा चुकी है लेकिन चार माह बाद भी यह आगे नहीं बढ़ा। इस कारण ई-रिक्शा का संचालन ज्यादातर चारीदीवारी तक सिमटकर रह गया है। इसका साइड इफेक्ट यह है कि बाहरी कॉलोनियों में लोगों के पास परिवहन की कनेक्टिविटी नहीं है। लोगोें को थोड़ी दूरी तय करने के लिए भी निजी वाहन ले जाना पड़ रहा है जिससे सड़क पर वाहनों का बोझ बढ़ रहा है। जबकि, 3 हजार ई-रिक्शा को लाइसेंस दिया जाना है।

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