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जयपुर

Leprosy disease का दर्द : परिवार ने अछूत मान छोड़ा, Pinkcity Jaipur ने बदली ‘LIFE’

– Pinkcity Jaipur गलता रोड स्थित सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम में मिली रोग से मुक्ति – यहां कुष्ठ रोगियों के बनाए उत्पाद बने विदेशियों की पसंद

जयपुरFeb 01, 2020 / 10:59 am

Pawan kumar

leprosy Disease

leprosy Disease

जयपुर। कुष्ठ रोग ने सिर्फ शारीरिक प्रताड़ना ही नहीं दी, बल्कि वो दर्द भी दिया जिसने दिल छलनी कर दिया। कुष्ठ रोग पीड़ित लोगों को उनके अपनों ने अछूत मानकर छोड़ दिया, तो गुलाबी नगर जयपुर उनका सहारा बना। बात हो रही है लता रोड स्थित सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम की। अपने ही परिवार से तिरस्कृत होकर जयपुर आए कुष्ठ रोगियों ने अपना मनोबल टूटने नहीं दिया। अपनों के भुलाए लोगों को जयपुर के कुष्ठ आश्रम में ना सिर्फ शरण मिली, बल्कि उनकी जिंदगी बदल गई।
मेहनत से बदला भाग्य
गलता रोड स्थित सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम में वही कुष्ठ पीड़ित रोग मुक्त होकर सफलता की उन उंचाइयों को छू रहे हैं, जिन्हें परिवार के लोगों ने भी स्वीकारने से इनकार कर दिया था। अब उनके बनाए कपड़े के उत्पाद विदेशों में जाते हैं। इन लोगों ने मेहनत करने के संकल्प लिया। कुष्ठ रोगियों ने मोमबत्ती व प्लास्टिक के थैले बनाने से कार्य की शुरुआत की। 1981 में सूत कातने एवं हैंडलूम व पावर लूम पर कपड़ा बनाने की शुुरुआत हुई। आज ये कपड़ा बनाने के साथ छपाई का काम भी कर रहे हैं। इसके लिए उन्हें मैक्सीमाइजिंग टू सर्व हैंडीकैप्ड ने प्रशिक्षण दिया।
खुद तैयार की डिजाइन
आश्रम में रह रहे छोटू प्रसाद ने बताया कि हैंडलूम के कपड़े व छपाई की डिजायन भी स्वयं ही तैयार करते हैं। इसके लिए उन्होंने कहीं कोई प्रशिक्षण नहीं लिया। यही नहीं रंग भी खुद ही तैयार करते हैं। 55 वर्षीय त़ैत्रीदेवी अंगुलियां नहीं होने के बावजूद बेहतरीन सिलाई कर स्वयं के साथ परिवार को भी आत्म निर्भर बनाया। आश्रम में बैड सीटस् पिलो कवर तौलिया गमछे टेबलपोश चटाई रूमाल स्कार्फ पोछा, मेट, दरी आदि तैयार किए जाते हैं।
विदेशों में बिकते हैं यहां के उत्पाद
कुष्ठ रोगियों के बनाए उत्पाद आश्रम में बनने वाले उत्पाद थोड़े महंगे होने के कारण यहां खुले बाजार में ना बेच कर सीधे विदेशों में निर्यात किए जाते हैं। आश्रम में बने उत्पादों को मैकसीमाइजिंग टु सर्व द हैंडीकैप्ड के माध्यम से जर्मनी, डेनमार्क, फ्रांस, इंग्लैंड आदि देशों में बेचा जाता है। कुष्ठ रोगियों को प्रशिक्षण, अगरबत्ती बनाना, मोटरबाइडिंग आदि का प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनने का कौशल सिखाया जाता है। सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम के अध्यक्ष सुरेश कोल बताते हैं कि आश्रम में हर सदस्य अपनी योग्यता के अनुसार बिना किसी भेदभाव के कार्यकरता है। हमारा उद्देश्य इनकों आत्म निर्भर बनाकर समाज की मुख्य धारा से जोड़ना है।

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