पुलिस ने बताया कि उप अधीक्षक ने 3 मई को रिपोर्ट दर्ज करवाई। रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2019 में पीडि़त आरपीए में प्रशिक्षण ले रहे थे, तब शास्त्री नगर में कार्यरत कांस्टेबल से उनकी मुलाकात हुई। महिला कांस्टेबल ने मेलजोल बढ़ाकर आर्थिक तंगी होना बताया और खुद की स्कूटी की किस्त जमा कराने के लिए सहयोग करने की गुहार लगाई। महिला कांस्टेबल के कहने पर 3213 रुपए किस्त के ऑनलाइन जमा करवा दिए।
इसके बाद पीडि़त से वह और उसके पति पारिवारिक जान पहचान बढ़ाने लग गए। दोनों पति-पत्नी ने पारिवारिक समस्या, पति की फोटोग्राफी का काम ठप हो जाने, भवन निर्माण, होम लोन नहीं होने सहित कई बहाने बनाकर उधार रुपए देने के लिए दवाब बनाया। इस पर वर्ष 2020 में महिला कांस्टेबल और उसके पति के बैंक खाते में स्वयं और मेरे परिजनों से लेकर 3 लाख रुपए जमा करवा दिए।
अक्टूबर 2020 में उधार रुपए वापस मांगे तो आरोपी ने बलात्कार के झूठे मुकदमे में फंसाकर बदनाम करने की धमकी दी। ब्लैकमेल कर कहा कि मुकदमे से बचने के लिए 10 लाख रुपए दो। डरकर तीन बार में 2.10 लाख रुपए आरोपी पति-पत्नी के बैंक खाते में और जमा करवा दिए। इसके बाद लगातार पति-पत्नी रुपए एठने के लिए धमकियां देते रहे।
वाट्सएप पर भेजी रिपोर्ट दर्ज करवाने वाली कॉपी उप अधीक्षक ने रिपोर्ट में बताया कि गत 16 फरवरी को आरोपी ने उनके मोबाइल पर हाथ से लिखि प्रथम सूचना रिपोर्ट वाट्सएप की, जिसमें बूंदी पुलिस अधीक्षक को संबोधित कर रखा था और उसमें झूठा बलात्कार का मामला लिख रखा था। इसके बाद फेसबुक के जरिए उप अधीक्षक से 16 अप्रेल को 20 लाख रुपए और दो दिन बाद ही 18 अप्रेल को 50 लाख रुपए की मांग की। आरोपी पीडि़त उप अधीक्षक से कुल 5.64 लाख रुपए वसूल चुके थे। आरोपी रुपए वसूलने के लिए लगातार धमकी दे रहे हैं।