वारदात को अंजाम देने वाले नेपाल निवासी नौकर सुभाष को चार माह पहले ही ओमप्रकाश ने घर पर रखा था। फोन रिसीव नहीं करने पर परिजनों ने पड़ोसियों को सूचना दे फ्लैट पर भेजा। पड़ोसी ओमप्रकाश के फ्लैट पर पहुंचे तब वारदात का पता चला। पुलिस फुटेज के आधार पर नौकर सुभाष को तलाश रही है। पीडि़त परिवार ने नौकर का पुलिस सत्यापन भी नहीं करवाया था। परिजनों के सामान संभालने पर पता चलेगा कि नौकर घर से क्या सामान ले गया।
परिजनों ने बताया कि ओमप्रकाश का कलर प्रिंटिंग का काम है, जबकि उनके बड़े बेटे योगश का होटलों में फूड सप्लाई का काम है। उनका छोटा बेटा दुबई में रहता है। हर माह की तरह ओमप्रकाश, योगश, बेटे की पत्नी राशि, पोते बृजेश व उत्कृष्ट गुरुवार दोपहर को नाथद्वारा श्रीनाथजी के दर्शन करने गए थे। चंदा बीमार होने पर घर पर ही थी। नौकर सुभाष देखभाल के लिए था।
12 बजे बात हुई, फिर दो बजे से फोन रिसीव नहीं किया शुक्रवार को श्रीनाथजी से लौटते समय ओमप्रकाश की पत्नी चंदा से बात हुई। लेकिन दो बजे उन्होंने घर पर फिर बात करने के लिए फोन लगाया, लेकिन फोन रिसीव नहीं हुआ। करीब तीन बजे तक फोन रिसीव नहीं होने पर ओमप्रकाश ने बगल वाले फ्लैट में रहने वाली सीमा पोरवाल को फोन कर चंदा से बात नहीं होने की जानकारी दी। उसी समय राशि ने तीसरी मंजिल पर रहने वाले अजय गुप्ता की पत्नी को फोन किया। अजय गुप्ता बेटे के साथ लिफ्ट से 9वीं मंजिल पर पहुंचे। दोनों पड़ोसियों ने घंटी बजाई तो अंदर से कोई जबाव नहीं आया। धक्का मारने पर गेट खुल गया। अंदर घुसते ही किचन के पास से फर्श पर खून फैला था और किसी को घसीटने से खून के निशान बने थे। खून के निशान साथ कमरे में बाथरूम तक पहुंचे, वहां चंदा लहूलुहान हालत में पड़ी थी।
मुंह से कपड़ा हटाते ही भगवान राम और फिर नौकर का नाम निकला अजय के बेटे कृत गुप्ता ने बताया कि वह भी पिता के साथ अंदर गया था। वहां चंदा दादी के मुंह से कपड़ा हटाया तो राम-राम-राम नाम ही निकल रहा था। अजय ने ही अन्य लोगों की मदद से चंदा को निजी अस्पताल पहुंचाया, जहां पर उसकी हालत गंभीर बनी है। पड़ोसियों ने बताया कि अस्पताल में घटना किसने की पूछने पर सुभाष नाम निकल रहा था।
8 मिनट का अंतर रह गया, पकड़ा जाता रंगे हाथ अजय गुप्ता के कार चालक रामधन यादव ने बताया कि करीब तीन बजे नौकर सुभाष फ्लैट से नीचे आया और लाल रंग की टीशर्ट पहन रखी थी और बरमूड़ा। खाली हाथ था और अकेले फ्लैट से बाहर निकल गया। जबकि आठ मिनट बाद ही ओमप्रकाश और राशि ने फोन कर चंदा के पास पड़ोसियों को भेजा। आठ मिनट पहले फोन आ जाता तो नौकर सुभाष रंगे हाथ पकड़ा जा सकता था।