एप के माध्यम से जांच अधिकारी जिस परिसर की जांच करेंगें, वहां के जिओ काॅर्डिनेट स्वतः ही एप से केप्चर कर लिए जाएंगे। मौके पर लिए गए फोटो अथवा वीडियो भी इसमें स्वतः ही अपलोड हो जाएंगे। वीसीआर नंबर भी जांच स्थल पर स्वतः ही जनरेट होंगें। आॅनलाइन वीसीआर इन्द्राज होने के बाद जांच अधिकारी की ओर से बाद में इसमें किसी भी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकेगा।
— बिजली चोरी की शिकायतों के साथ छीजत में आएगी कमी
— सतर्कता जांचों में आएगी पारदर्शिता
— विजिलेंस की शिकायतें दूर होगी, एप से सभी तरह की शिकायतें दूर होगी
— इंजीनियर कार्यालय में बैठे—बैठे नहीं कर पाएंगे वीजिलेंस
— उपभोक्ताओं को होगी संतुष्टि
— इंजीनियरों की जवाबदेहिता बढ़ेगी
— जांच के साथ ही उपभोक्ता को उसके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर एसएमएस
से जांच की कार्रवाई की सूचना भी मिलेगी
— एप के माध्यम से जुर्माना राशि की गणना भी विनियामक आयोग की ओर से निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप स्वतः ही हो जाएगी, ऐसे में त्रुटि की संभावना नहीं होगी
ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा कि इस एप के माध्यम से विजिलेंस की प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और छीजत को कम करने में भी मदद मिलेगी। यह एप विजिलेंस से जुड़े अभियंताओं की जवाबदेही तय करेगा। ऊर्जा मंत्री ने बताया कि इस एप को विद्युत नियामक आयोग के नियमों के अनुरूप तैयार कराया गया है। इस प्रकार का एप जल्द ही अजमेर और जोधपुर डिस्कॉम्स में भी लागू किया जाएगा।
ऊर्जा मंत्री बी.डी. कल्ला ने कहा कि अगर हम 1 प्रतिशत छीजत कम करते है तो साढे 400 करोड़ रुपए की बचत होगी। उन्होंने बताया कि 2005 में 41 फीसदी छीजत होती थी। वह 2020 में अब 18.17 प्रतिशत रह गई है। इस सरकार के आने के बाद हमने 2.6 प्रतिशत से ज्यादा छीजत कम की है, 2023 तक इस छीजत को 15 प्रतिशत करने का लक्ष्य है।