हुआ यों कि अपार्टमेंट में रहने वाली चित्रा पारवानी (29) और उसका भाई राहुल (19) अपनी भांजी को स्कूल छोडकऱ फ्लैट पर लौट रहे थे। भूतल से चौथी मंजिल स्थित अपने फ्लैट पर जाने के लिए लिफ्ट में चढ़े थे। तीसरी मंजिल पर पहुंचने ही वाले थे कि बिजली चली गई। लिफ्ट दूसरी-तीसरी मंजिल के बीच रुक गई। साइरन बजाया तो गार्ड आया, जिसने उन्हें निकालने के लिए डंडे से लिफ्ट का दरवाजा खोला।
भाई ने बताई आंखों देखी
चश्मदीद चित्रा के भाई राहुल ने बताया, सुबह करीब 10.40 बजे थे। लिफ्ट बंद हो गई थी। मोबाइल की टॉर्च चालू कर इधर-उधर देखा और साइरन का बटन दबाया। गार्ड रामदास ने जैनरेटर चलाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं चला। करीब 10.55 बजे होंगे, जब गार्ड ने डंडे से लिफ्ट का दरवाजा खोला। गार्ड ने उन्हें निकलने के लिए एक स्टूल दिया। मैं टॉर्च जलाकर बहन चित्रा को रास्ता दिखा रहा था। लेकिन चित्रा जैसे ही स्टूल पर चढ़ी, उसका पैर फिसल गया और वह स्टूल सहित नीचे गिर गई। मैं छलांग लगाकर बाहर आया और नीचे जाकर बहन को संभाला। खून से लथपथ चित्रा तब तक बेसुध हो गई थी। परिचित की गाड़ी लाकर उसे पहले निजी, फिर एसएमएस अस्पताल ले गए लेकिन बचा नहीं पाए। चिकित्सकों ने उसके सिर में गहरी चोट बताई।
चश्मदीद चित्रा के भाई राहुल ने बताया, सुबह करीब 10.40 बजे थे। लिफ्ट बंद हो गई थी। मोबाइल की टॉर्च चालू कर इधर-उधर देखा और साइरन का बटन दबाया। गार्ड रामदास ने जैनरेटर चलाने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं चला। करीब 10.55 बजे होंगे, जब गार्ड ने डंडे से लिफ्ट का दरवाजा खोला। गार्ड ने उन्हें निकलने के लिए एक स्टूल दिया। मैं टॉर्च जलाकर बहन चित्रा को रास्ता दिखा रहा था। लेकिन चित्रा जैसे ही स्टूल पर चढ़ी, उसका पैर फिसल गया और वह स्टूल सहित नीचे गिर गई। मैं छलांग लगाकर बाहर आया और नीचे जाकर बहन को संभाला। खून से लथपथ चित्रा तब तक बेसुध हो गई थी। परिचित की गाड़ी लाकर उसे पहले निजी, फिर एसएमएस अस्पताल ले गए लेकिन बचा नहीं पाए। चिकित्सकों ने उसके सिर में गहरी चोट बताई।
बस आज भूली और…
चित्रा की मां रुक्मिणी ने बताया, अपार्टमेंट में लाइट बार-बार लाइट जाने की समस्या रहती है। बच्चे जब भी बाहर होते, फोन कर लिफ्ट से नहीं आने की हिदायत देती थी। बस आज ही मैंने उन्हें फोन कर बताना भूल गई और आज ही…।
चित्रा की मां रुक्मिणी ने बताया, अपार्टमेंट में लाइट बार-बार लाइट जाने की समस्या रहती है। बच्चे जब भी बाहर होते, फोन कर लिफ्ट से नहीं आने की हिदायत देती थी। बस आज ही मैंने उन्हें फोन कर बताना भूल गई और आज ही…।
जाने वाले थे यहां से
पिता किशनचंद पारवानी और मां रुक्मिणी देवी ने बताया, दोनों बच्चों संग 6 महीने पहले ही अपार्टमेंट में रहने आए थे। अव्यवस्थाओं के कारण यहां से जाने वाले थे और अन्यत्र घर तलाश रहे थे। चित्रा यहां निजी स्कूल में पढ़ाती थी। उसकी हम जल्दी ही शादी करने वाले थे। अपार्टमेंट में रहने वाली पूजा सिंह ने बताया, एक महीने पहले वह भी लिफ्ट में अटक गई थी। धीरज माथुर ने बताया, अपार्टमेंट में आए दिन लाइट जाने की समस्या रहती है। अपार्टमेंट की सोसायटी को कई बार कहा लेकिन कुछ नहीं हुआ।
पिता किशनचंद पारवानी और मां रुक्मिणी देवी ने बताया, दोनों बच्चों संग 6 महीने पहले ही अपार्टमेंट में रहने आए थे। अव्यवस्थाओं के कारण यहां से जाने वाले थे और अन्यत्र घर तलाश रहे थे। चित्रा यहां निजी स्कूल में पढ़ाती थी। उसकी हम जल्दी ही शादी करने वाले थे। अपार्टमेंट में रहने वाली पूजा सिंह ने बताया, एक महीने पहले वह भी लिफ्ट में अटक गई थी। धीरज माथुर ने बताया, अपार्टमेंट में आए दिन लाइट जाने की समस्या रहती है। अपार्टमेंट की सोसायटी को कई बार कहा लेकिन कुछ नहीं हुआ।