जयपुर

मेयर सौम्या ने धनतेरस पर संभाली कुर्सी, ‘ग्रेटर’ में आर्थिक संकट दूर करना बड़ी चुनौती

मेयर की कुर्सी पर बैठते ही वे शहर के ग्रेटर हिस्से की प्रथम नागरिक भी बन गईं। धनतेरस पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद डॉ. सौम्या के लिए सबसे बड़ी चुनौती निगम को आर्थिक संकट से उबारने की रहेगी।

जयपुरNov 13, 2020 / 01:36 pm

Nakul Devarshi

जयपुर.
जयपुर ग्रेटर नगर निगम की नवनिर्वाचित मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर आज विधिवत रूप से मेयर की जिम्मेदारी संभाल ली। मेयर की कुर्सी पर बैठते ही वे शहर के ग्रेटर हिस्से की प्रथम नागरिक भी बन गईं। धनतेरस के शुभ दिन के शुभ मुहूर्त में उन्होंने जयपुर ग्रेटर नगर निगम की बतौर पहली मेयर जिम्मेदारी संभाली। उनके पदभार ग्रहण के दौरान भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे।
उधर, धनतेरस पर कार्यभार ग्रहण करने के बाद डॉ. सौम्या के लिए सबसे बड़ी चुनौती निगम को आर्थिक संकट से उबारने की रहेगी। आर्थिक तंगी से जूझ रहे नगर निगम के लिए राजस्व हासिल कराना और संसाधनों की कमी नहीं आने देना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहेगा। वो भी ऐसे समय में जब राज्य में सरकार विरोधी दल कांग्रेस की है।
‘गोविन्द’ के जयकारों से गूंजा चैंबर

डॉ सौम्या के पदभार ग्रहण करने के दौरान वहां मौजूद लोगों ने जयपुर के आराध्य देव गोविन्द देव जी के जयकारे लगाए। इन जयकारों से मेयर चैंबर गूँज उठा। खुद मेयर ने भी कुर्सी पर बैठने के वक्त जयकारे लगाए।
पंडित जी को लगवाया मास्क
मेयर पदभार ग्रहण करने के दौरान मेयर डॉ सौम्या वहां मौजूद लोगों के मुंह पर मास्क पहने होने को लेकर गंभीर नज़र आईं। इस बीच एक ऐसा ही वाकया उनके औपचारिक कार्यभार ग्रहण करने से पहले पूजन कार्यक्रम के दौरान हुआ। यहाँ पूजन करवा रहे पंडित जी बगैर मास्क पहने मंत्रोच्चार कर पूजन करवा रहे थे। ये देखकर डॉ सौम्या ने उन्हें टोका और मास्क पहनवाया। इसके बाद पंडित जी ने भी मास्क पहनकर शेष विधियाँ संपन्न करवाई।
आज शाम पहली बैठक

मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर आज ग्रेटर निगम के अधिकारियों की अहम बैठक लेंगी। शाम 4 बजे प्रस्तावित बताई जा रही इस बैठक में अफसरों को अपने-अपने कार्यक्षेत्र से जुड़े प्रेजेंटेशन के साथ मौजूद रहने के निर्देश दिए गए हैं।
आर्थिक संकट के बीच मुश्किल राह

डॉ. सौम्या ऐसे वक्त में मेयर का पदभार ग्रहण किया है जब निगम आर्थिक संकट से जूझ रहा है। ऐसे में राजस्व अर्जन कर उसे वापस ट्रैक पर लाने की राह आसान नहीं है। कोरोना काल के कारण नगर निगम का राजस्व लगातार घट रहा है। इस बीच राजस्व के नए अवसर तलाशना चुनौतीपूर्ण रहना तय है।
ठेकेदारों-सफाईकर्मियों को भुगतान की चुनौती

निगम के अब तक के आर्थिक संकट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ठेकेदारों और सफाईकर्मियों को वक्त पर भुगतान नहीं मिलने की कई बार शिकायतें आती रही हैं। कई माह तक भुगतान नहीं होने की स्थिति में कर्मचारी बार-बार काम ठप करके हड़ताल पर भी उतर जाते हैं।
कांग्रेस सरकार से भी करनी होगी ‘डिमांड’

जयपुर ग्रेटर में भाजपा का बोर्ड और इसी पार्टी की मेयर बनने से चर्चा इस बात की भी हो रही है कि क्या कांग्रेस राज में यहां का काम सुचारू चल पाएगा? दरअसल, नगर निगम में राजस्व और संसाधन जुटाने सम्बन्धी कई कार्यों के लिए निगम को राज्य सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है। माना जाता है कि जिस निगम और सरकार में कड़ी से कड़ी जुड़ी रहती है वहां इन मामलों में ज़्यादा दिक्कत नहीं आती। लेकिन जब बोर्ड और मेयर भी विरोधी दल का हो तो ये चुनौतीपूर्ण बन जाता है।

ग्रेटर में समस्याओं का अंबार

जयपुर ग्रेटर के हिस्से मालवीय नगर, सांगानेर, विद्याधर नगर, बगरू और झोटवाड़ा जैसे बड़े दायरे में फैले इलाकों के कुल 150 वार्ड आते हैं। क्षेत्र बड़े हैं तो यहां समस्याओं का अम्बार भी लगा है। शहर के कई वीआईपी इलाके भी इसी हिस्से पड़ते हैं, ऐसे में यहां समस्याओं को समझने और उन्हें दूर करने में वक्त भी लग सकता है।

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