नगर निगम में करीब 6 माह बाद हुई बोर्ड बैठक सुबह हंगामे के बीच शुरू हुई। शोरगुल और हंगामें के बीच बैठक पांच बार स्थगित भी करनी पड़ी। भाजपा-कांग्रेस पार्षदों के बीच धक्का-मुक्की और तिखी नोंकझोंक हुई। हालांकि कांग्रसी पार्षद भी भाजपा पार्षदों का विरोध और महापौर का बचाव करते नजर आए। हंगामें के बीच बैठक में दो प्रस्ताव रखे गए। इनमें पहला प्रस्ताव तीन माह के लिए वर्ष 2016 में किराये पर लिए लोडर के बकाया पेमेंट का भुगतान संबंधित था, जिसे डेफर कर सरकार को भिजवाने का निर्णय लिया गया। वहीं दूसरा प्रस्ताव सफाईए रोड लाइट व विकास पर चर्चा का था। इस प्रस्ताव पर सिर्फ चार पार्षद ही बोल पाए। वार्डों से सफाई कर्मचारियों को हटाने के मामले को लेकर भाजपा पार्षदों ने हंगाम शुरू कर दिया। पार्षद वेल में आ गए और धरने पर बैठ गए, जो सदन के स्थगित होने तक जारी रही। इसके बाद उपमहापौर मनोज भारद्वाज की अगुवाई में भाजपा पार्षदों ने एकजुट होकर वार्डों से सफाई कर्मचारी हटाने के मामले को लेकर नगर निगम आयुक्त विजयपाल सिंह को ज्ञापन सौंपा।
बोर्ड बैठक होने से पहले भाजपा मुख्यालय में हुई भाजपा पार्षद दल की बैठक में बड़े नेताओं ने पार्षदों को एकजुट रहने और महापौर को घेरने का पाठ पढ़ाया। बैठक में भाजपा पदाधिकारियों का मुख्य फोकस एकजुटता पर ही था, जिसका असर बोर्ड बैठक में देखने को मिला।