जयपुर नगर निगम चुनाव 2020, वार्ड 43 से वार्ड 53 का सूरत-ए-हाल, जयपुर ग्रेटर नगर निगम के दायरे में हैं दस वार्ड, बाहरी सड़कें चकाचक, अंदरूनी कॉलोनियां खस्ताहाल, वादे-दावे सिर्फ कागजों में, हकीकत खोल रही पोल, वार्डवासियों ने ‘पत्रिका’ से साझा किया अपना दर्द, साफ़-सफाई, रोशनी, ड्रेनेज सिस्टम की नहीं व्यवस्था, नारकीय जीवन जीने को मजबूर वार्डों की कई कॉलोनियां, राजनीतिक दलों के नेताओं से ऊब चुके कई वार्ड के लोग, कॉलोनियों के लोगों ने मिलकर उतारे खुद के प्रतिनिधि
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जयपुर नगर निगम चुनाव आने के साथ ही एक बार फिर नेताओं का जनता से वादे और दावे करने का सिलसिला शुरू हो गया है। जनाधार हासिल करने के लिए वार्ड पार्षद लोगों के बीच जाकर उन्हें पूरे वार्ड में चकाचक साफ़-सफाई, बेहतर सीवरेज और ड्रेनेज सिस्टम, जगमगाती रोड लाइट्स के नाम पर सपने दिखा रहे हैं। इन्हीं वादों-दावों के बीच ज़मीनी हकीकत पता करने के लिए टीम पत्रिका शहर के वार्डों की परिक्रमा पर निकली हुई है।
मकसद जनता की नब्ज़ टटोलना है कि वे इस बार के चुनाव को किस नज़रिए से देख रहे हैं। साथ ही वार्ड किन मूलभूत ज़रूरतों से महरूम होकर दुर्दशा से गुज़र में हैं। जयपुर शहर के ग्रेटर नगर निगम के दायरे में आने वाले झोंटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के वार्ड 43 से वार्ड 53 की स्थिति भी कमोबेश उन वार्डों की तरह ही है जो मूलभूत ज़रूरतों से महरूम हैं। चाहे बात साफ़-सफाई की हो या सडकों को रोशन करने वाली रोड लाइट्स की.. चाहे सीवरेज कनेक्शंस हों या सड़क या पानी का मसला, यहाँ के बाशिंदों को अब तक नगर निगम से जुड़े काम पहुँचने का इंतज़ार ही है। इन दस वार्डों की मुख्य सड़कें दिखने में भले ही चौड़ी-चौड़ी नज़र आती हैं, लेकिन कॉलोनियों के अन्दर झाँकने पर वार्डवासियों की पीड़ा ज़ाहिर होती है। निगम चुनाव के मद्देनज़र जब टीम patrika इन वार्डों का जायज़ा लेने पहुंची तब नेताओं के वादों और दावों की कलह खुलती दिखाई दी।
बाहर ‘चकाचक’ सड़क, अन्दर उलट तस्वीर वार्ड 43 से लेकर वार्ड 53 तक के दस वार्डों का दायरा बहुत बड़ा है। इस बार ग्रेटर नगर निगम में शामिल हुए इन वार्डों का ज़्यादातर हिस्सा सिरसी रोड, कालवाड रोड, बिन्दायका, निवारू रोड, पान्च्यावाला और दिल्ली बाईपास जैसे मुख्य क्षेत्रों से सटा हुआ है। चौड़ी-चौड़ी और खुली-खुली सडकों से गुजरने वालों को भले ही ये इलाके औरों से बेहतर दिखाई दें, लेकिन अंदरूनी कॉलोनियों में घुसते ही हकीकत सामने आ जाती है।
नेताओं पर से उठा भरोसा वार्ड 51 निवासी मुकेश कुमार शर्मा ने बताया कि वार्ड की कॉलोनियों का नियमन तो हो चुका है लेकिन इसके बाद पहुँचने वाली ज़रूरी सेवाएं आज तक नहीं पहुंची हैं। कुछ वार्ड अब भी पक्की सडकों से महरूम हैं तो जहां सड़कें बनी वो खस्ता हाल में हैं। कुछ ऐसा ही हाल साफ-सफाई और सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था का भी है। लोग इतने दुखी हो चले हैं कि अब तो उनका नेताओं तक पर से भरोसा उठता दिखाई दे रहा है।
कागजों से बाहर नहीं निकली सेवाएं कहने को तो नगर निगम और स्थानीय पार्षद वार्डों की व्यवस्थाएं दुरुस्त होने का हवाला देते हैं, लेकिन हकीकत का अंदाजा वार्डवासियों का दर्द देखकर समझा जा सकता है। नियमन होने के बाद कागजों से निकल चुके करोड़ों रूपए की सेवाएं वार्डों तक नहीं पहुँच सकी है। वार्ड 43 से वार्ड 53 तक के दस वार्डों में कमोबेश एक जैसी ही स्थिति है।
ड्रेनेज सिस्टम फेल, बरसातों में होती है दिक्कत वार्ड 51 निवासी बालकिशन शर्मा ने बताया कि निगम क्षेत्राधिकार की सेवाओं में यहाँ की ड्रेनेज सिस्टम का भी बड़ा बुरा हाल है। ये कहें कि यहाँ के लोग बरसात नहीं आने की ही ईश्वर से कामना करते हैं। वजह भी साफ़ है, बरसात आने पर पानी इस कदर सडकों पर भर जाता है कि लोगों का निकलना दूभर हो जाता है।
ड्रेनेज सिस्टम की इंजीनीयरिंग डिफेक्ट का खामियाजा तो वार्डों की अंदरूनी कॉलोनियों को ही नहीं, मुख्य मार्गों तक को उठानी पड़ रही है। लोगों का कहना है कि बरसात आने पर सड़कें दरिया बन जाती हैं। दो से तीन फुट तक पानी भर जाता है जिससे स्थिति बेहद नारकीय हो जाती है। बरसाती पानी की व्यवस्थित निकासी नहीं होना भी बड़ी समस्याओं में से एक बनी हुई है…….
हाईटेंशन की टेंशन, लील चुका कई जिंदगियां टीम patrika जब वार्ड 51 की अंदरूनी कॉलोनियों में पहुंची तो नज़ारा चौंकाने वाला था। यहाँ बीच रिहायशी कॉलोनियों के बीचों-बीच से कई गुना वाट का गुज़रता जानलेवा खतरा दिखाई दिया। वार्ड निवासी द्रोपदी अग्रवाल कहती हैं कि साफ़-सफाई और ड्रेनेज की ही तरह सबसे बड़ी टेंशन यहाँ की हाईटेंशन लाइनें हैं। नगर निगम ने यहाँ विकास के नाम पर ऐसे रास्ते निकाले हैं जो एचटी लाइनों के थी नीचे से गुज़र रहे हैं। वार्डवासियों का कहना है कि ये एचटी लाइनें एक के बाद एक जिंदगियां लील रही हैं। निगम और नेताओं तक को शिकायत की पर समस्या जस-की-तस बनी हुई है।
पार्कों में ना झूले ना ट्रेक जब टीम patrika ने नगर निगम के अधीन आने वाले वार्डों के सार्वजनिक पार्कों का जायजा लिया तो सच्चाई सामने आ गई। हरी-भरी घांस और पेड़-पौधे तो दूर, पार्कों में ना झूले हैं ना वाकर्स ट्रेक ही है। लिहाजा वार्डवासी तो अब ऐसे पार्कों को सुविधा क्षेत्र के नाम पर छोड़ा गया क्षेत्र ही मानकर जी रहे हैं। वार्ड निवासी रमण शर्मा और शम्भूदयाल नहाटा ने बताया कि लोगों की सबसे बड़ी नाराजगी नेताओं से है, जो चुनावी समर में तो हाथ जोड़कर वादे और दावे तो करते हैं, पर चुनाव बाद उनके दर्शन ढूँढने से भी नसीब नहीं होते।
नेताओं से तंग आकर खुद के प्रतिनिधि खड़े किये हर बार की तरह इस बार भी निगम चुनाव की घडी आ गई है और नेता एक अदद जीत के मकसद से जनता के दर पर धोक लगाने पहुँच रहे हैं। पर इस बार वार्डों की जनता पहले से ज़्यादा जागरूक दिखाई दे रही है। वार्डों में लोगों की नब्ज़ टटोलने पर अंदेशा साफ़ लग रहा है कि लोग राजनीतिक दलों के नेताओं के वादों से ज़बरदस्त तंग आये हुए हैं। यही वजह है कि कई वार्डों में तो लोगों ने खुद का प्रतिनिधि ही चुनाव में खडा कर दिया है। ऐसे में इस बार पार्षद चुनाव नतीजे दिलचस्प होना तय माना जा रहा है।