जयपुर। गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) पर ब्रह्मपुरी (Brahmapuri) स्थित दाहिनी सूंड वाले नहर के गणेशजी (Ganesha of the right trunk canal) जयपुरी परंपरा (Jaipuri tradition) को साकार करेंगे। गणपति महाराज को पारंपरिक राजशाही (Traditional monarchy) जरी की पोशाक धारण करवाई जाएगी। करीब एक माह में तैयार हुई इस पोशाक में कारीगरों ने हाथ से रत्न व गोटा-पत्ती आदि जड़े हैं। गणेश चतुर्थी पर दाहिनी सूंड वाले नहर के गणेशजी लोगों को राजशाही अंदाज में दर्शन देंगे। इसकी तैयारी करीब एक माह पहले से ही शुरू हो चुकी है।
मंदिर महंत जय शर्मा ने बताया कि गणपति को इस दिन जरी से बनी राजशाही पोशाक धारण करवाई जाएगी, जिसमें रत्नों के साथ गोटा-पत्ती जड़े गए हैं। कारीगरों ने इसे करीब एक माह में तैयार किया है। 20 किलो वजनी इस पोशाक को खास तरह से तैयार किया गया है। बता दें कि जरी की पोशाक जयपुरी शान है, इसे राजशाही पोशाक कहा जाता है, जिसे राजा-महाराजा भी पहना करते थे। जयपुर की इस शान को आज नहर के गणेशजी निभा रहे हैं। इससे पहले गणपति का महंत परिवार की ओर से पारंपरिक शृंगार किया जाएगा, जिसे करने के लिए मंदिर के दो दिन पट मंगल रहेंगे। 31 अगस्त को सुबह मंदिर के पट मंगल होंगे, जो 1 सितंबर को शाम 5 बजे तक मंगल रहेंगे। पट मंगल रहने के दौरान महंत परिवार की ओर से गणपति का पारंपरिक शृंगार किया जाएगा। हालांकि इस दौरान भक्त गणपति के चित्र दर्शन कर सकेंगे। इसके लिए मंदिर में गणपति के चित्र स्वरूप विराजमान रहेंगे। एक सितंबर को सिंजारे के दिन शाम 5 बजे गणपति मोदकों की झांकी के साथ दर्शन देंगे। इस दिन गणपति को लहरिए-मोठड़े की विशेष पोशाक धारण करवाई जाएगी। इस दिन ङ्क्षसजारा महोत्सव भी मनाया जाएगा, जिसमें गजानन को मेहंदी अर्पित की जाएगी। इस दिन भक्तों को प्रसादी स्वरूप मेहंदी भी वितरित की जाएगी।