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जयपुर

भगवान विष्णु पांच महीने सागर में करेंगे विश्राम, धरा संभालेंगे भोलेनाथ

devshayani ekadashi 2020: आषढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी बुधवार एक जुलाई को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार आज से भगवान विष्णु चार माह के लिए शयन के लिए क्षीर सागर में चले जाएंगे और इस दौरान धरती की पूरी व्यवस्था भगवान भोलेनाथ संभालेंगे। देव शयन करने के साथ ही पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा।

जयपुरJun 30, 2020 / 11:04 pm

Devendra Singh

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देवशयनी एकादशी

जयपुर। आषढ़ शुक्ल एकादशी यानि देवशयनी एकादशी बुधवार एक जुलाई को श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाई जाएगी। इस एकादशी को हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार आज से भगवान विष्णु चार माह के लिए शयन के लिए क्षीर सागर में चले जाएंगे और इस दौरान धरती की पूरी व्यवस्था भगवान भोलेनाथ संभालेंगे। देव शयन करने के साथ ही पांच माह के लिए मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। इसके बाद सीधे 25 नवम्बर को देवउठनी एकादशी से देव जागने पर फिर से शुभ कार्य किए जा सकेंगे। ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेश शास्त्री के अनुसार इस दौरान शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य व अन्य शुभ काम वर्जित रहेंगे। इस दिन से चातुर्मास भी शुरू हो जाएंगे। साधु-संत पांच मास तक एक ही स्थान पर ठहर कर धर्म ध्यान करेंगे। लोगों को साधु-संतों, धार्मिक गतिविधियों व सत्संग का पुण्य लाभ प्राप्त होगा। इस अवधि में केवल धार्मिक अनुष्ठान, कथा आयोजन, पूजन व यज्ञ आदि किए जा सकेंगे।

ठाकुरजी करेंगे चांदी के पलंग पर शयन

देवशयनी एकादशी पर शाम को मंदिरों में भगवान को शयन कराने की विधि करवाई जाएगी।
इस बार लॉकडाउन के चलते मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ नजर नहीं आएगी। शाम को 5:45 बजे महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में सालिगरामजी को रथ पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण-पश्चिम कोने में स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान किया जाएगा। यहां पंचामृत अभिषेक कर पूजन किया जाएगा। मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया सालिगरामजी व तुलसीजी की चार परिक्रमा करने के बाद सालिगरामजी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा करने के बाद वापस मंदिर के गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा। संध्या आरती दर्शन होंगे। इस दिन ठाकुरजी को नटवर वेश पोशाक धारण करवाई जाएगी। शाम को ठाकुरजी को चांदी के पलंग पर मंत्रोच्चार के साथ विधि विधान पूर्वक शयन करवाया जाएगा।
मंदिरों में सजेगी शयन की झांकियां

देवशयनी एकादशी पर इस बार मंदिरों में दर्शनों के लिए भक्तों की भीड़ नजर नहीं आएगी। लॉकडाउन के कारण भक्तों के लिए मंदिर के पट बंद रहेंगे। शहर के मंदिरों में विशेष झांकियां तो सजाई जाएंगी, लेकिन भक्त सोशल मीडिया या ऑनलाइन ही दर्शन कर सकेंगे। शाम को मंदिरों व घरों में भगवान की शयन विधि करवाई जाएगी। मंदिरों में शाम को शयन झांकियां सजेगी। बड़ी चौपड़ स्थित देवस्थान विभाग के लक्ष्मीनारायण बाईजी के मंदिर के भगवान विष्णु का अभिषेक कर नवीन पोशाक धारण करवा कर झांकी सजाई गई। शाम को शयन झांकी का आयोजन होगा। इसमें भगवान को सफेद चादर से ढके चांदी के पलंग पर तकिया- गद्दा लगा कर मंत्रोच्चार के साथ शयन करवाया जाएगा। गलता स्थित सीतारामजी के मंदिर, पान दरीबा स्थित सरस निकुंज, चांदपोल स्थित रामचंद्रजी का मंदिर, चादंनी चौक स्थित ब्रजनिधिजी मंदिर, गोनेर रोड स्थित श्री राधा गोविन्द मंदिर सहित शहर के मंदिरों में शाम को धार्मिक आयोजन होंगे।

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