लोगों की नाराजगी मोल न लेने के लिए ही सरकार ने अपने ही आदेश में संशोधन करते हुए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के हिस्से को छोड़ बाकी प्रदेश में आतिशबाजी करने की छूट दी है। हालांकि, सरकार ने ग्रीन पटाखे चलाने की अनुमति दी है।
कारोबार बढऩे की उम्मीद राजधानी जयपुर की बात करें तो पिछले वर्ष करीब 1500 करोड़ रुपए का कारोबार हुआ था। इस बार इसमें 20 से 30 फीसदी तक बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है। वहीं, प्रदेश भर में 5000 करोड़ रुपए का करोबार होने की उम्मीद है।
जुर्माने का प्रावधान भी
राज्य सरकार ने एनसीआर को छोडकऱ प्रदेश के अन्य सभी हिस्सों में दीपावली व गुरुपर्व पर रात 8 से रात 10 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाने की छूट दी है। क्रिसमस एवं नववर्ष पर रात 11:55 से रात 12:30 बजे और छठ पर्व पर सुबह 6 से सुबह 8 बजे तक ग्रीन पटाखे चलाए जा सकेंगे। गृह विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिस शहर में एयर क्वालिटी इंडेक्स कमजोर होगा, वहां उस दिन आतिशबाजी पर रोक रहेगी। एनसीआर में किसी प्रकार के और अन्य जगह ग्रीन पटाखों को छोडकऱ अन्य किसी प्रकार के पटाखे बेचने पर 10 हजार रुपए और चलाने पर दो हजार रुपए जुर्माना होगा।
ये होते हैं ग्रीन पटाखे -ग्रीन पटाखे अन्य पटाखों की तुलना में 30 फीसदी तक कम प्रदूषण पैदा करते हैं।
-इस तरह के पटाखे नेशनल एनवायरमेंटल इंजीनियरिग रिसर्च इंस्टीट्यूट (नीरी) से प्रमाणित होते हैं।
-स्टार क्रैकर्स कम सल्फर और नाइट्रोजन पैदा करते हैं। इनमें एल्युमिनियम का न्यूनतम इस्तेमाल किया जाता है।
-अरोमा क्रैकर्स कम प्रदूषण के साथ-साथ खुशबू भी पैदा करते हैं। -अधिकतर ग्रीन पटाखे सफेद और पीली रोशनी ही देते हैं। हालांकि ये कुछ महंगे होते हैं।
यों करें पहचान
-पटाखों के डिब्बों पर नीरी का हरे रंग का लोगो और क्यूआर कोड होता है। इसे स्कैन करके ग्रीन पटाखों की पहचान की जा सकती है। -तय लिमिट में आवाज और धुएं वाले पटाखों को ही कोर्ट ने ग्रीन पटाखे की श्रेणी में शामिल किया है। इनमें नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड की कम मात्रा इस्तेमाल होती है।
12 पटाखा उत्पादकों को ग्रीन पटाखे का लाइसेंस ग्रीन पटाखों के संबंध में सीएसआईआर-नीरी के प्रमाणन को अधिकृत माना जाएगा। राज्य में 12 पटाखा उत्पादकों को यह प्रमाण-पत्र दिया जा चुका है। इन उत्पादकों को पीईएसओ से पटाखा बनाने के लिए लाइसेंस भी लेना होता है, जो कि राज्य के नौ उत्पादकों के पास उपलब्ध है।
ग्रीन पटाखे ही बेच रहे राजधानी में राजधानी की अधिकतर दुकानों पर ग्रीन पटाखे ही बेचे जा रहे हैं। नीरी ने जो दिशा-निर्देश दिए हैं, उसी के आधार पर पटाखे बेच रहे हैं। किशनगढ़ के अलावा दूदू स्थित मौजमपुरा में नीरी के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही ग्रीन पटाखे बनाए जाते हैं। यही बात सरकार के सामने रखी थी। उसके बाद सरकार ने अनुमति दी है।
—महेंद्र माहेश्वरी, अध्यक्ष, राजस्थान पटाखा एंड डीलर्स ऐसासिएशन
30 फीसदी अधिक बिक्री की उम्मीद पिछली बार 1500 करोड़ रुपए का कारोबार शहर में हुआ था। इसमें 30 फीसदी तक इजाफा होने की उम्मीद है। हालांकि, अस्थायी लाइसेंसे पिछले वर्ष की तुलना में कम मिले हैं। ग्रीन पटाखों पर लोगों का जोर है।
—जहीर अहमद, अध्यक्ष फायरवक्र्स आर्टिस्ट एसोसिएशन