मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि इन्हें श्रावण शुक्ल द्वादशी यानि शुक्रवार को ठाकुरजी और राधा रानी सहित अन्य सभी विग्रहों को पवित्रा धारण करवाया जाएगा। मुख्य दो पवित्रा ठाकुरजी को पोशाक के ऊपर धारण करवाई जाएंगी। धूप झांकी से शयन झांकी तक ठाकुरजी पवित्रा धारण किए रहेंगे। मानस गोस्वामी ने बताया कि मुख्य दो पवित्रा चमकीले रेशम से बनाई गई है। पीले और केसरिया सूत की पांच अन्य पवित्रा में 108 गांठ है। ये सात पवित्रा ठाकुरजी, राधाजी, सखियों सहित अन्य विग्रहों को धारण कराई जाएंगी। 216 पवित्रा ठाकुरजी के झूले के बांधी जाएगी। बंगाली परंपरा में पवित्रा कपड़े और सूत की माला को कहा गया है। यह जरी की सुनहरी माला का दूसरा नाम है। रंगीन पवित्रा के साथ सूत की पवित्रा भी बनाई जाती है। पवित्रा बनाने का कार्य मंदिर का पटवा करता है।
आचार्य पीठ श्री सरस निकुंज दरीबा पान में शुक संप्रदायाचार्य-पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में पवित्रा एकादशी मनाई गई। सरस निकुंज के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि शुक्रवार को ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार को रेशम डोरी की माला धारण कराई जाएगी।
नहीं भरा जगदीश महाराज का झूलों का मेला गोनेर में लक्ष्मी जगदीश महाराज का झूलों का मेला इस बार कोरोना का शिकार हो गया। मेले में जयपुर के अलवा बड़ी संख्या में आस-पास के जिलों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु दशनों के लिए आते थे। इस बार लॉकडाउन के कारण मंदिर के पट बंद होने से ठाकुरजी ने भक्तों को दर्शन नहीं दिए। निराश भक्तों ने मंदिर की देहरी पर धोक लगा कर ठाकुरजी से सुख-समृद्धि की कामना की। मंदिर समिति के अध्यक्ष महंत हनुमानदास ने बताया कि झूलों में विराजित ठाकुरजी का सुबह पंचामृत अभिषेक कर लहरिया की पोशाक धारण करवाई गई। ठाकुरजी को घेवरों का भोग लगाया गया। लॉकडाउन के चलते श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट बंद रहे। भक्तों को सोशल मीडिया के जरिए ठाकुरजी के दर्शन करवाए गए। मंदिर स्थापना के बाद यह पहला मौका है जब झूलों का मेला स्थगित करना पड़ा।