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जयपुर दंगा पीड़ित परिवार की आपबीती कहानी, पुलिस पहरे में भी आंखों में था रात का खौफनाक मंजर, देखें Video

Jaipur Communal Violence : दिल्ली रोड स्थित ईदगाह के बाद फिर मंगलवार रात को गंगापोल में दो पक्षों में पथराव ( Stone Pelting ), रात की घटना का खौफ लोगों के चहरे पर साफ नजर आ रहा था, प्रत्यक्षदर्शियों ने सुनाई रात की भयावह कहानी

जयपुरAug 14, 2019 / 06:58 pm

Deepshikha Vashista

जयपुर दंगा पीड़ित परिवार की आपबीती कहानी, पुलिस पहरे में भी आंखों में था रात का खौफनाक मंजर, देखें Video

देवेंद्र शर्मा / जयपुर. शहर में रविवार को रामगंज, सोमवार को दिल्ली रोड स्थित ईदगाह पर हुए बवाल के बाद मंगलवार को पूरे दिन पुलिस का भारी जाब्ता न सिर्फ गलतागेट थाना इलाके में लगा था, बल्कि पूरी चारदीवारी के संवेदनशील इलाके में था। पुलिस ने कॉलोनियों में फ्लैग मार्च किया।
 

 

इसके बावजूद मंगलवार रात गंगापोल में दो पक्षों ( Jaipur Violence ) में जमकर पथराव ( Stone Pelting ) हुआ। देर रात पूरी चारदीवारी और आसपास के 15 थाना क्षेत्रों में धारा-144 ( Section 144 ) लागू कर दी गई। रात की घटना का खौफ लोगों के चहरे पर साफ नजर आ रहा था।
 

 

जयपुर में हुए इन दंगा पीड़ित प्रत्यक्षदर्शियों ने सुनाई रात की भयावह कहानी ( Jaipur Violence affected family ) ने आपबीती कहानी राजस्थान पत्रिका से बताई। उन्होंने बताया कि पुलिस के पहरे में भी आंखों में रात का खौफनाक मंजर था।
 

 

घर पर बरस रहे थे पत्थर

साढ़े नौ बजे हम सभी घर पर टीवी देख रहे थे। दिल्ली रोड पर पुलिया के नजदीक ही घर है। अचानक पत्थर टीनशेड, बरामदे पर आकर गिरने लगे। बाहर देखा तो एक स्कॉर्पियो गाड़ी पर भीड़ ने हमला किया। एक घंटे तक मानो महाभारत चली हो। मेरे घर पर आगे पीछे से पत्थर बरस रहे थे। कई किराएदार रहते हैं, डर के कारण सुबह उठते ही अपने-अपने ठिकाने चले गए। पुलिस ने आंसू गैस नहीं चलाई होती तो भीड़ पीछे भी नहीं हटती। यह बात बताते हुए नौरती की आंखें भी नम हो गई और कहने लगी कि ऐसा मंजर न दिखाए, सभी सुख-शांति से क्यों नही रहते हैं।
– नौरती देवी

 

 

भयानक था मंजर

टीन की चद्दरों पर जैसे ही पत्थर पडऩे लगे, हम डर गए। पुलिया के पास भीड़ थी। बच्चों को घर के अंदर ले लिया। बहुत ही भयानक मंजर था। पुलिस के साथ आस-पास की कॉलोनियों के लोग बाहर आए तो भीड़ पीछे चलती गई। ऐसे झगड़ों से किसी को क्या फायदा।
– शांति देवी

 

 

इकराम की मदद को सलाम

मैं डॉक्टर के पास जाकर के घर आया था और बाहर ही खड़ा था। अचानक कुछ महिलाएं भागते हुए आई और पूछा कि हम किधर से निकले। उनके चेहरे पर बहुत डर था। उनके साथ कुछ पुरुष व बच्चे भी थे। इस स्थिति उनकी मदद करने से बड़ा कुछ नहीं था। मैंने घर में उन्हें पनाह दी, उनमें सात महिलाएं, तीन पुरुष व तीन बच्चे थे।
 

 

इनमें से एक व्यक्ति बच्चे के साथ भीड़ में ही अटका हुआ था। हमने उसे फोन करके कहा कि दो नंबर पुलिया के नजदीक से नीचे उतर आओ। उनके आते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया। घर से महज 20 मीटर दूर ही मुख्य सड़क पर भीड़ तांडव मचा रही थी। पत्नी आसिया व बच्चों ने उन्हें पानी पिलाया। मेरा एक परिचित सिपाही हरदयाल गलतागेट थाने में था। उन्हें फोन करके कहा कि कुछ लोग मेरे घर पर रुके हुए हैं, इन्हें सकुशल घर भिजवाए। कुछ देर बाद ही डीसीपी पुलिस जाब्ते के साथ आए और उन्हें लेकर गए। डीसीपी ने भी धन्यवाद कहा।
– इकरामुद्दीन

 

समझाने में लगे रहे

दोनों तरफ भीड़ उग्र थी। किसे समझाते-किसे रोकते। हम तो अपनी तरफ के लोगों को समझाने में लगे रहे। कहा कि क्यों माहौल खराब करते हो। सभी को साथ रहना है। बच्चों, बड़ों को घरों में भेजा, जो भी अटका हुआ दिखा उसे रास्ता दिखाया। उपद्रवी ज्यादा थे, लेकिन मदद के लिए भी कई लोग साथ थे।
– वाहिद अली

 

 

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