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जयपुर

Rajasthan Goverment : कहां बह रही घोटाले की ‘जलधारा’, देखिए

जेडीए इंजीनियर्स का खेल : जलधारा में मेंटिनेंस के नाम पर घोटाला
– जेडीए ठेकेदार को सालाना कर रहा दे रहे 34.80 लाख का भुगतान- ठेकेदार फर्म टिकट बिक्री से कमा रही करीबन 10 लाख- ठेकेदार ने छुट्टी के दिन दोगुनी कर रखी है टिकट
– ये खेल पिछले कई साल से चल रहा
– अब तक इंजीनियर्स और ठेकेदार करोड़ों का कर चुके गोलमाल

जयपुरFeb 13, 2020 / 12:45 pm

Pawan kumar

jaldhara jaipur

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जयपुर। राजधानी जयपुर के लोगों को सुकून के पल मुहैया करवाने के लिए जेएनएल रोड पर जलधारा प्रोजेक्ट शुरू किया गया। लेकिन अब यह प्रोजेक्ट जयपुर विकास प्राधिकरण के इंजीनियर्स और ठेकेदारों के गठजोड़ की कमाई का जरिया बन गया है। जेडीए जलधारा की मेंटिनेंस के पेटे ठेकेदार फर्म को सालाना 34.80 लाख रूपए का भुगतान कर रहा है। बात यहीं खत्म नहीं होती जेडीए ने जलधारा की टिकट बिक्री से होने वाली आय भी ठेकेदार फर्म को रखने का अधिकार दे रखा है। ठेकेदार फर्म टिकट बिक्री से होने वाली सालाना करीबन 12 लाख रूपए की आय भी अपनी जेब में डाल रही है। ठेकेदार फर्म की मनमानी का आलम है कि छुट्टी के दिन टिकट के रेट दोगुने कर रखे हैं। ये खेल पिछले कई साल से चल रहा है। अब तक इंजीनियर्स और ठेकेदार करोड़ों का गोलमाल कर चुके हैं।

जानकारी के अनुसार जेडीए प्रशासन ने जलधारा की मेंटिनेंस का ठेका हजारीलाल फर्म को दे रखा है। जेडीए जलधारा की रखरखाव के पेटे 2.90 लाख रूपए प्रति माह ठेकेदार फर्म को भुगतान कर रहा है। जेडीए सालाना 34.80 लाख रूपए ठेकेदार फर्म को मेंटिनेंस की एवज में दे रहा है। जबकि जलधारा में टिकट बिक्री से होने वाली आय भी ठेकेदार फर्म की जेब में जा रही है। मौजूदा समय में प्रति माह लगभग 5,500 लोग जलधारा भ्रमण पर आते हैं। इनसे टिकट बिक्री के पेटे प्रतिमाह 60 हजार रूपए की आय हो रही है। गर्मियों के मौसम में जलधारा आने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ जाती है और आय भी। टिकट बिक्री से सालाना 10 से 12 लाख रूपए तक की आय होती है। इस तरह से ठेकेदार फर्म मेंटिनेंस के पेटे 47 लाख रूपए ले रही है।

टिकट रेट में ठेकेदार की मनमानी

जेडीए ठेकेदार फर्म ने जलधारा में भ्रमण के लिए टिकट के दो रेट तय कर रखे हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 10 रूपए प्रति व्यक्ति। जबकि शनिवार और रविवार को 20 रूपए प्रति व्यक्ति। शनिवार और रविवार को अवकाश का दिन होता है इसलिए लोग ज्यादा आते हैं। इसे देखते हुए ठेकेदार फर्म ने अवकाश के दिनों में टिकट का रेट दोगुना कर रखा है।

4 लाख महीने खर्च, फिर भी ये हाल

जलधारा के मेंटिनेंस के पेटे ठेकेदार फर्म प्रति माह लगभग 4 लाख रूपए अपनी जेब में डाल रही है। बावजूद इसके ना तो वहां पूरा पानी है और ही फव्वारे चलते हैं। जलधारा में अव्यवस्था का आलम ये है कि सफाई के नाम पर पौंड खाली रखे जाते हैं और कभी कभार ही फव्वारा चलाया जाता है। जलधारा में कई जगहों पर टूट फूट भी हो रखी है। यहां आने वाले लोगों को ना तो जलधारा में पूरा पानी भरा हुआ मिलता है और ना ही फव्वारा चलता हुआ। इससे टिकट खरीदकर भ्रमण करने वाले लोगों को मायूसी हाथ लगती है।
क्या कहते हैं जिम्मेदार –

जलधारा में रखारखाव के पेटे ठेकेदार को प्रति माह 2.90 लाख रूपए भुगतान कर रहे हैं। टिकट बिक्री की आय भी ठेकेदार फर्म के पास जाती है। फिलहाल यही व्यवस्था है। जलधारा में कमियां है, तो उसे दूर करवाएंगे।
संजय व्यास, एक्सइएन (गार्डन), जेडीए

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