लेकिन प्रसव के बाद उसे एक शिशु ‘लडका’ दिया गया। दूसरे शिशु के लिए पूछने पर उसे बताया गया कि वह पेट में ही खत्म हो चुका है। महिला और उसके साथ मौजूद प्रतिनधियों का कहना था कि दूसरा बच्च पेट में ही खत्म हो चुका है तो भी उसे प्रसूता को सौंपा जाना चाहिए था, मामला बढने पर मौके पर पुलिस भी पहुंच गई।
लिखित शिकायत में अस्पताल प्रशासन को बताया गया है कि अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें बताया कि दोनों बच्चों ने पेट में ही झगडा किया, जिसमे एक मर गया। मरने वाले बच्चे को गटर में फैंक दिया। जो करना हैं कर लें। शिकायत में यहां तक लिखा गया है कि उन्हें यह धमकी भी दी गई कि यदि दूसरे बच्चे की सलामती चाहती हैं तो चुप रहें।
प्रसूता व अन्य प्रतिनिधियों का कहना था कि पूरा मामला सामने आते ही अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे उसके प्रसव से संबंधित जांच रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज नहीं दिए। इतना ही नहीं ऑपरेशन से प्रसव होने के बावजूद उसे अस्पताल से डिस्चार्ज करने की तैयारी भी कर ली गई। प्रसूता का आरोप है कि उन्हें यह भी कहा जा रहा है कि मामले को ज्यादा बढ़ाया तो दूसरा बच्चा भी नहीं मिलेगा। जयपुर में ही हाथोज के आगे माचवा की प्रसूता रमा देवी के पति विकलांग हैं।
19 जून को अस्पताल से बाहर निजी जांच केन्द्र पर सोनोग्राफी करवाई। 9 जुलाई को जनाना अस्प्ताल में आए, यहां सोनोग्रापफी में भी उसके जुड़वा बच्चे ही बताए गए। 10 जुलाई को उसे लेबर रूम में लिया गया, उससे पहले भी उसके जुड़वा बच्चे बताए गए, जुड़वा बच्चे होने की बात कहकर उसका आपरेशन सीनियर डॉक्टरों से करवाने की बात कही गई, बाद में उसे एक बच्चा थमा दिया गया।