scriptकच्ची बस्ती में पक्के मकानों का झूठा नक्शा, खेला जाता रहा ‘दांव’ | Jawahar Nagar kachi settlement Case News | Patrika News
जयपुर

कच्ची बस्ती में पक्के मकानों का झूठा नक्शा, खेला जाता रहा ‘दांव’

जवाहर नगर कच्ची बस्ती का मामला…

जयपुरMar 12, 2018 / 01:16 pm

Priyanka Yadav

Jaipur News
जयपुर. कच्ची बस्ती के नाम पर सियासी रोटियां सेकने वाले नेता लोगों को पक्के आवास का आश्वासन देकर वोटबैंक को मजबूत करने में जुटे हैं। विधानसभा चुनाव आते ही एक बार फि र बस्तीवासियों को पक्के आवास की उम्मीद जगाई जा रही है। जवाहर नगर कच्ची बस्ती मामले में भी पिछले 2 विधानसभा चुनाव से यानि 10 वर्ष से यही घुट्टी दी जा रही है।
इसके लिए ‘दिखावटी’ नक्शा तक बांट दिया गया। विधायक अशोक परनामी के विधानसभा क्षेत्र में शहर की सबसे बड़ी बस्ती में पड़ताल की तो नक्शा सामने आया। इसमें टीला नंबर 1 से 7 तक को दर्शाया गया है, जिसमें हरे रंग से मौजूदा कच्ची बस्ती हिस्सा और खुला क्षेत्र दिखाया गया है। खुले क्षेत्र में पक्के आवास के साथ स्कूल, अस्पताल, सामुदायिक केंद्र सहित अन्य सुविधाओं का खाका दिखा दिया गया।
जेडीए को पहले भी कच्ची बस्ती में पक्के आवास की प्लानिंग के लिए जिम्मा सौंपा जा चुका है। इसके लिए अफसर मुम्बई भी गए, लेकिन जनता फि र ठगी गई। इस बार भी चुनाव से पहले इसकी जिम्मेदारी नगर निगम की बजाय जेडीए को सौंप दी गई।
पहले भी मुम्बई घूमे, अब फिर वही अलापा राग

– मुम्बई की धारावी व अन्य बस्तियों की की तर्ज पर यहां भी पीपीपी मॉडल पर पक्के आशियाने दिलाने का फि र दावा किया जा रहा है। इस मॉडल में सर्वे, आकलन, निर्माण संबंधित कार्य कंपनी अपने खर्चे पर ही करती गई। इसके बदले कंपनी को वहीं बची जमीन में से निर्धारित हिस्सा दिया गया है। इस जमीन को बेचकर या वहां आवासीय-व्यावसायिक निर्माण करके वह मुनाफ कमाती है।
– इसके लिए जेडीए कंसल्टेंसी का मसौदा तैयार कर रहा है।

– जेडीए अधिकारी पिछले विधानसभा चुनाव से पहले भी मुम्बई गए और वहां इसी मॉडल का अध्ययन किया। इसके जरिए शहर की अन्य बस्तियों का भी अध्ययन किया जाना तय हुआ। लेकिन चुनाव के बाद सब कुछ बंद हो गया।
– अब फिर लोगों की इसी उम्मीद के सहारे वोट बटोरने की जमीन तैयार की जा रही है।

वन विभाग की है जमीन

बस्ती का ज्यादातर हिस्सा वन विभाग की जमीन पर है। इसके तहत कच्ची बस्ती के एरिया को वन विभाग से क्षेत्राधिकार से बाहर निकालने का काम करना होगा, जो वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के हस्तक्षेप के बिना नहीं हो सकता है। इस बस्ती को डी-नोटिफाइड कराने की बात भी परनामी पहले भी कहते आए हैं। उनकी इसी बात का दोहराव महापौर भी कर चुके हैं लेकिन हुआ कुछ नहीं।
ड्राइंग : ठगने का पुलिंदा

मतदाताओं को चुनावी सभा और उसके बाद रिझाने के लिए यह ड्राइंग (नक्शा) बांटी गई। इसमें दो जगह हरे रंग का उपयोग कर मतदाताओं को कागजी योजना को बताया गया। हल्के हरे रंग में मौजूदा बस्ती क्षेत्र को दिखाया गया। जबकि, गहरे हरे रंग में उस जगह को दिखाया गया, जहां पक्के आवास बताए गए।
इन्हीं ड्राइंग से आइना दिखाने की तैयारी

वर्ष 2008 व 2013 के विधानसभा चुनावों में स्थानीय विधायक ने लोगों को आदर्श कॉलोनी बनाने के नक्शे बनवाकर बांटे। दो बार चुनाव जीतने के बाद भी हालात जस के तस हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो यहां 19 बूथों पर पोलिंग होती है, सभी बूथों ने कच्ची बस्ती के नियमन के लिए दावा किया गया। चुनाव के दौरान बांटे गए नक्शे को लोगों ने संभाल के रखा है ताकि आगामी चुनावों में वो इसे दिखा सकें।

Home / Jaipur / कच्ची बस्ती में पक्के मकानों का झूठा नक्शा, खेला जाता रहा ‘दांव’

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो