गौरतलब है कि राजस्थान एटीएस ने फर्जी हथियार प्रकरण का खुलासा करते हुए गिरोह के छह जनों को पकड़ा था। फिर एक के बाद एक परतें खुलती गई और प्रकरण में 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। इनमें से कुछ लोगों को छोड़ सभी गिरफ्तार लोग राजस्थान के थे। हालांकि बाद में राजस्थान एटीएस ने गिरोह की पड़ताल के बाद बड़ी मुश्किल से प्रशासनिक और राजनीतिक दबाव बनाकर जम्मू कश्मीर से फर्जी हथियार लाइसेंस से जुड़े दस्तावेजों को निकलवाया।
यह है मामला
एटीएस ने छह लोगों की गैंग पकड़ी, ढाई से 5 लाख रुपए में जम्मू कश्मीर से हथियार लाइसेंस बनवाते।
गिरोह में 3 जम्मू, 1-1 राजस्थान, पंजाब और हरियाणा निवासी।
50 से अधिक अब तक हो चुके गिरफ्तार, ग्राहकों में एक गुजरात व अन्य राजस्थान के गिरफ्तार।
50 लोग एटीएस के निशाने पर।
गैंग ने स्थानीय लोगों के अलावा सेना, पैरामिलेक्ट्री फोर्स के नाम से 5000 से अधिक फर्जी लाइसेंस बनवा दिए थे।
एटीएस ने छह लोगों की गैंग पकड़ी, ढाई से 5 लाख रुपए में जम्मू कश्मीर से हथियार लाइसेंस बनवाते।
गिरोह में 3 जम्मू, 1-1 राजस्थान, पंजाब और हरियाणा निवासी।
50 से अधिक अब तक हो चुके गिरफ्तार, ग्राहकों में एक गुजरात व अन्य राजस्थान के गिरफ्तार।
50 लोग एटीएस के निशाने पर।
गैंग ने स्थानीय लोगों के अलावा सेना, पैरामिलेक्ट्री फोर्स के नाम से 5000 से अधिक फर्जी लाइसेंस बनवा दिए थे।
कलक्टर ने बनाए थे फर्जी लाइसेंस
जांच के दौरान चौकान्ने वाला तथ्य सामने आया कि फर्जी हथियार लाइसेंस जम्मू कश्मीर के एक आइएएस द्वारा जिला कलक्टर पद पर रहते हुए बनाए थे। एटीएस ने आइएएस के छोटे भाई कुमार ज्योति रंजन को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया। एटीएस ने दावा किया था कि गिरोह के सरगना कुमार ज्योति रंजन के बैंक खाते में फर्जी हथियार लाइसेंस बनाने के बदले में मोटी रकम जमा करवाते। फिर छोटे भाई से रकम प्राप्त होने का इशारा मिलते ही आइएएस अधिकारी फर्जी हथियार लाइसेंस पर हस्ताक्षर कर उसे असली हथियार लाइसेंस का चोला पहनाते थे। हालांकि जम्मू कश्मीर सरकार ने मामले में तत्कालीन कलक्टर का नाम आने पर उन्हें वहां से हटा दिया था।
जांच के दौरान चौकान्ने वाला तथ्य सामने आया कि फर्जी हथियार लाइसेंस जम्मू कश्मीर के एक आइएएस द्वारा जिला कलक्टर पद पर रहते हुए बनाए थे। एटीएस ने आइएएस के छोटे भाई कुमार ज्योति रंजन को गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया। एटीएस ने दावा किया था कि गिरोह के सरगना कुमार ज्योति रंजन के बैंक खाते में फर्जी हथियार लाइसेंस बनाने के बदले में मोटी रकम जमा करवाते। फिर छोटे भाई से रकम प्राप्त होने का इशारा मिलते ही आइएएस अधिकारी फर्जी हथियार लाइसेंस पर हस्ताक्षर कर उसे असली हथियार लाइसेंस का चोला पहनाते थे। हालांकि जम्मू कश्मीर सरकार ने मामले में तत्कालीन कलक्टर का नाम आने पर उन्हें वहां से हटा दिया था।
दुकानदार, प्रॉपर्टी व अन्य कारोबारियों ने बनवाए
गिरोह ने राजस्थान के लोगों को जम्मू कश्मीर से हथियार लाइसेंस बनाने का लालच दिया और उन्हें फर्जी तरीके से बीएसएफ, सेना और अन्य पैरामिलेक्ट्री फोर्स का जवान या हवलदार बता जम्मू कश्मीर में पोस्टेट बता लाइसेंस बनवाया। राजस्थान में फर्जी हथियार लाइसेंस बनवाने वालों में दुकानदार, प्रॉपर्टी और अन्य कारोबार से जुड़े लोग शामिल हैं।
गिरोह ने राजस्थान के लोगों को जम्मू कश्मीर से हथियार लाइसेंस बनाने का लालच दिया और उन्हें फर्जी तरीके से बीएसएफ, सेना और अन्य पैरामिलेक्ट्री फोर्स का जवान या हवलदार बता जम्मू कश्मीर में पोस्टेट बता लाइसेंस बनवाया। राजस्थान में फर्जी हथियार लाइसेंस बनवाने वालों में दुकानदार, प्रॉपर्टी और अन्य कारोबार से जुड़े लोग शामिल हैं।