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जयपुर

जोधपुर टॉप पर तो चित्तौडगढ़़ सबसे पिछड़ा

हाईकोर्ट के आदेश पर वन विभाग ने दोबारा गिने मोरअन्य जिलों के भी आंकड़े आए सामने

जयपुरAug 27, 2018 / 01:15 am

manoj sharma

jaipur

file photo

जयपुर. राज्य में सर्वाधिक मोर जोधपुर और बाड़मेर में हैं जबकि सवाईमाधोपुर और टोंक में इनकी संख्या सबसे कम है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य में वन विभाग ने मोरों की दोबारा गणना कराई तो यह स्थिति सामने आई है। देश में संरक्षित प्रजातियों में शामिल राष्ट्रीय पक्षी मोर के शिकार की रोकथाम और संरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने उक्त आदेश दिया था। इस पर विभाग मोरों को लेकर मॉनिटरिंग में जुटा है। विभाग ने अप्रैल से मई के बीच होने वाली पक्षीगणना के अलावा 12 लाख का बजट आवंटित कर सभी जिलों में मोरों की दोबारा गणना कराई है। इसमें प्रदेश में कुल 6 लाख 7 हजार 360 मोर पाए गए हैं। हाईकोर्ट के आदेश की पालना में ही राज्य एवं जिला स्तरीय कमेटियां भी बनाई गई हैं। मुख्य वन संरक्षक केसी मीणा का कहना है कि समितियों के गठन के बाद सख्ती बढ़ी है और शिकारियों पर नजर रखी जा रही है। राज्य में मोरों की स्थिति ठीक पाई गई है।
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विभाग की सख्ती के बाद हालात में थोड़ा सुधार
मोर का शिकार करने पर वालों पर विभाग गहरी नजर है। इससे पहले कुछ जाति के लोग इनका शिकार करते रहे हैं। इसके बाद से विभाग ने ऐसे लोगों को चिह्नित करना शुरू कर दिया और फिर उन पर कार्रवाई की जाने लगी। ऐसे में ये लोग अब मोर के शिकार से बचने लगे हैं।
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कई जगह लगे हैं कैमरे
विभाग ने ऐसे लोगों पर सख्ती करने के लिए कई जगह कैमरे भी लगाएं,ताकि ऐसे लोगों को पकडा़ जा सके। इससे काफी राहत मिली है। कैमरे लगाने के बाद अन्य पशु-पक्षियों के शिकार करने पर भी रोक लग सकी है।
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क्यों बना राष्ट्रीय पक्षी
भारत सरकार ने 26 जनवरी 1963 को मोर को राष्ट्रीय पक्षी का दर्जा दिया।
मोर के अद्भुत सौंन्दर्य के कारण और मधुर आवाज के चलते यह निर्णय लिया गया था।

कहां कितने मोर
सबसे ज्यादा
्र- जोधपुर 95170
– बाड़मेर 87001
– जालौर 50828
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सबसे कम यहां
– चित्तौडगढ़़ 708
– कोटा 843
– टोंक 754
– सवाईमाधोपुर 817

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