एकजुट रहने की दी नसीहत
नड्डा ने अपने भाषण में नेताओं को एकजुट रहने पर भी ख़ास फोकस रखा। उन्होंने ‘एकला चलो’ के सिद्धांत वाले नेताओं को एक उदाहरण देते हुए समझाया। उन्होंने कहा कि कुछ नेता होते हैं जो सोचते हैं कि पार्टी में कार्य करते हुए 20 साल हो गए लेकिन पार्टी ने अब तक कुछ नहीं दिया। पर वे ये नहीं सोचते कि 20 साल से वो अकेले ही चल रहे थे।
ये कहते हुए उन्होंने नेताओं को साथ मिलकर चलने की नसीहत दी। नड्डा ने कहा कि पार्टी नेताओं को सब को साथ लेकर चलने की ताकत समझकर उसे डेवलप करना होगा। उन्होंने कहा कि नेता किसी के कहने से नहीं बनता, बल्कि अपने एक्शन से बनता है। पर एक्शन में हमेशा यह ध्यान रखना चाहिए कि हमारी स्वीकार्यता तभी है जब हम सबको साथ लेकर चलेंगे।
‘6 अप्रैल तक मजबूत करें मंडल’
नड्डा ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी काडर बेस्ड पार्टी है, इसलिए संगठन को मजबूत करना हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने 6 अप्रैल को स्थापना दिवस तक की मियाद देते हुए कहा कि इस विशेष दिन से पहले सभी मंडलों को मजबूत किया जाना चाहिए। कोई बूथ ऐसा नहीं रहना चाहिए जिस पर हमारी बूथ कमेटी नहीं हो। इसमें सभी वर्ग के लोगों को शामिल किया जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने प्रदेश के नेताओं को मंथन करके आगे बढ़ने के निर्देश दिए।
‘25 दिसंबर तक बनाए पन्ना प्रमुख’
मंडल और बूथ कमेटियों को मजबूत करने के बाद नड्डा ने हर बूथ पर पन्ना प्रमुख बनाने और उन्हें सक्रीय करने की भी मियाद दी। नड्डा ने कहा कि 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती तक हर बूथ पर सक्रिय पन्ना प्रमुख बनाने का लक्ष्य तय किया जाना चाहिए।
‘बूथ हमारी ताकत है’
नड्डा ने पार्टी में बूथ के महत्व पर जोर दिया। साथ ही कहा कि एक राष्ट्रीय अध्यक्ष दिल्ली से चलकर बूथ की बात इसलिए कर रहा है क्योंकि बूथ ही भाजपा की ताकत है। उन्होंने गुजरात के सूरत का उदाहरण देते हुए कहा कि सूरत में पार्टी को सबसे ज्यादा मार्जिन से जीत इसलिए नसीब हुई थी क्योंकि वहां का बूथ मजबूत था। जबकि वहां कोई बड़ी सभा तक नहीं हुई।
‘सेल्फ एनालिसिस करें नेता’
नड्डा ने नेताओं को जीत के मंत्र देते हुए कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में नियुक्त किये जाने वाले प्रभारी या प्रवास करने वाले नेता ऐसे होने चाहिए जो अंदर तक सब कुछ जान सकें। उन्होंने नेताओं के लापरवाह अंदाज़ की ओर इशारा करते हुए कहा कि कुछ नेता जाने अनजाने में ये समझ बैठते हैं कि वे सब जानते हैं।
उन्होंने कहा कि आजकल नेताओं ने ‘सेल्फ एनालिसिस’ करना छोड़ दिया है। इस तरह के काम करने से हमारी प्रोडक्टिविटी खत्म हो जाती है। उन्होंने सभी को सेल्फ एनालिसिस करने पर जोर दिया।
‘कार्यकर्ता समस्या नहीं समाधान है’
नड्डा ने कहा कि नेता को कभी अपने कार्यकर्ता को समस्या नहीं समझना चाहिए। कार्यकर्ता समस्या नहीं, बल्कि समाधान होता है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता पोस्ट ऑफिस नहीं है, हमें पोस्टमैन नहीं कार्यकर्ता बनना है।
स्वर्गीय भैरोंसिंह को किया याद
नड्डा ने अपने भाषण कि शुरुआत राजस्थान को ‘वीरों की तपोभूमि’ कहकर नमन करते हुए की। इसके बाद उन्होंने पूर्व के दिनों को याद करते हुए कहा कि वे इसी सभागार में वर्ष 1991 के दौरान कार्य समिति बैठक में शामिल होने पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि एक वो दौर था जब भैरोंसिंह शेखावत ने पार्टी को खड़ा किया। शेखावत ने जगह-जगह जाकर जनसंघ का दिया जलाया और पार्टी को मजबूती दी।
अमरीका-ट्रंप का किया ज़िक्र
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने उद्बोधन में अमेरिका के चुनाव और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि अमरीका में बीते चुनाव कोरोना वायरस पर ही हो गए। यूरोप और अमेरिका की स्वास्थ्य सेवाएं भारत से अच्छी थी लेकिन वह घबरा गए। यह देश अपनी मृत्यु दर को भी नहीं संभाल पाए। लेकिन 130 करोड़ का भारत देश प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में बचा रहा। नड्डा ने केंद्र सरकार के कोरोना काल के दौरान किये कार्यों और योजनाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की नसीहत दी।
‘लोग पहले हमें चिढाते थे’
नड्डा ने पुराने वक्त को याद करते हुए कहा कि एक वक्त ऐसा भी था जब लोग जनसंघ और बीजेपी के इकोनॉमी मॉडल को लेकर हमें छेड़ते और चिढाते थे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि हमारा एकात्म मानववाद इस तरह काम करेगा। अन्त्योदय के बाद प्रधानमंत्री ने नारा दिया सबका साथ सबका विकास।
‘किसानों के नाम पर वर्षों तक हुई राजनीति’
नड्डा ने कहा कि कुछ किसान नेताओं ने किसानों का भला नहीं करके वर्षों तक उनके नाम पर राजनीति की है। केंद्र सरकार के तीनों कानून किसानों की तकदीर और तस्वीर बदलने जा रहे हैं। यह तीनों कानून ‘ऑप्शनल’ हैं फिर भी गतिरोध बना हुआ है। उन्होंने ‘विरोधियों’ पर निशाना साधते हुए कहा कि ये वो लोग हैं जो कभी रिफॉर्म्स की बातें करते हैं, और जब रिफोर्म्स होते हैं तो दूसरी तरफ जाकर कहते हैं ‘नो रिफॉर्म्स’।
‘किसानों के बीच जाएँ, सच्चाई बताएं’
किसान आंदोलन के गरमाए मुद्दे पर बोलते हुए नेपि नड्डा ने कहा कि अब जब किसानों के नाम पर राजनीतिक रोटियां सेकी जा रही हैं तो इस दौरान पार्टी का काम है कि वो प्रत्येक किसान के बीच जाए और उसे कानून के बारे में बताएं।