‘सर, दोपहर के दो बज रहे थे। मेरे पिताजी यहां रामभरोसे कोविड अस्पताल में दो दिन से भर्ती थे। उन्हें सांस में तकलीफ थी। बीपी और शुगर भी था। दो दिन से वह 94 पर्सेंट पर ऑक्सीजन मेंटेन कर रहे थे। परसों दोपहर को अचानक दो बजे उन्हें सांस लेने में ज्यादा दिक्कत होने लगी।
मैंने उनके मुंह पर पानी के छींटे मारे क्योंकि ऐसा पहले भी एक-दो बार घर पर हुआ था। पानी के छींटे मारने से उन्हें होश आ जाता था लेकिन इस बार उन्हें होश नहीं आया। मैंने सिस्टर को आवाज लगाई, उस समय नर्सेज के कमरे में कोई भी नहीं था। फिर मैंने डॉक्टर को आवाज लगाई। मैं डॉक्टरों को आवाज लगाता रहा लेकिन कोई नहीं आया। करीब पंद्रह मिनट तक पिताजी बेहोश रहे। 15 मिनट बाद डॉ. राम अवतार ने आकर उन्हें देखा। उन्हें ट्रॉली पर लिया और सामने आईसीयू में शिफ्ट किया। दो घंटे बाद उनकी मौत हो गई।
‘मेरे पिताजी बेहोश होकर जमीन पर पड़े थे तब डॉक्टर कहां था। इसे इसके किए की सजा मिलनी चाहिए थी।’ ‘सजा मुकर्रर करना तुम्हारे हाथ में है क्या? तुमने उसकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर दी। उसे इतनी बेदर्दी से पीटा कि अब वह किसी भी गंभीर मरीज का इलाज करने से घबराएगा।’
प्रोफेसर अब डॉ. राम अवतार के पिता की ओर मुड़े और उनसे पूछा,’आप क्या कहना चाहते हैं?’ ‘सर, मुझो तो इतना पता है कि पिछले आठ महीने से मेरा बेटा घर नहीं आया। फोन पर कहता था कि कोविड मरीजों की सेवा करनी है। बहुत कम डॉक्टर हैं अस्पताल में इसलिए छुट्टी मिल पाना मुश्किल है।
दोपहर का खाना तो जो मरीजों का आता है उसमें से खा लेते हैं। शाम के समय हॉस्टल आ पाते हैं।’ इतना कहते कहते उनकी आंखें भर आईं।
फिर वह सीनियर प्रोफेसर मीडिया की तरफ मुड़े और बोले, ‘आप लोगों ने मरीज के मरने पर अखबारों में बहुत कुछ छापा। अब असलियत सामने है। आप लोग कुछ पूछना चाहते हैं?’ एक पत्रकार खड़ा हुआ और मरीज के रिश्तेदार से पूछा कि अगर डॉक्टर वहां नहीं था तो ट्रॉली तो वहीं पड़ी थी और आईसीयू सामने था, आपने ख़ुद ही अपने पिता को ट्रॉली पर लेकर आईसीयू में शिफ्ट करवाने की कोशिश क्यों नहीं की?’
‘जी…उस समय मुझो कुछ सूझाा नहीं।’ ’15 मिनट तक आपको कुछ नहीं सूझाा और पिताजी की मौत के 15 मिनट बाद ही आपने डॉक्टर को इतना पीटा कि हाथ-पैर तोड़ दिए?’ ‘पहले 15 मिनट क्या कर रहे थे?’
‘जी मैं इस अस्पताल की लापरवाही का विडियो भी बना रहा था ताकि उसे लोगों के सामने पेश कर सकूं, यह देखिए विडिओ!’ पूरे हॉल में सन्नाटा पसर गया। सब अवाक् उस रिश्तेदार को देख रहे थे।