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जयपुर

कैलाश मेघवाल का लेटर बम, कटारिया के खिलाफ खोला मोर्चा, बोले कटारिया की देखरेख में करोड़ों की हेराफेरी

वसुंधरा राजे के करीबी पूर्व विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के बीच पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के जमाने से चली अदावत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मेघवाल ने एक बार फिर कटारिया के खिलाफ लेटर बम फोड़ा है। इस पत्र में मेघवाल ने कटारिया को पद से हटाने की मांग की है।

जयपुरSep 07, 2021 / 08:51 pm

Umesh Sharma

जयपुर।

वसुंधरा राजे के करीबी पूर्व विधानसभाध्यक्ष कैलाश मेघवाल और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के बीच पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के जमाने से चली अदावत खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मेघवाल ने एक बार फिर कटारिया के खिलाफ लेटर बम फोड़ा है। इस पत्र में मेघवाल ने कटारिया को पद से हटाने की मांग की है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को लिखे पत्र में मेघवाल ने कटारिया की महाराणा प्रताप और भगवान श्रीराम को लेकर की गई टिप्पणी का हवाला दिया गया है। मेघवाल ने लिखा है कि कटारिया के इस बयान से पार्टी को भारी नुकसान हुआ है। मेघवाल ने भाजपा विधायक दल की बैठक में कटारिया के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की बात कही है। मेघवाल ने इस चिट्ठी की एक प्रति भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां सहित सभी विधायकों को भेजी है। मेघवाल ने विधायक दल की बैठक अध्यक्षता पूनियां से करने के लिए कहा है।
लाखों—करोड़ों की होती रही है हेराफेरी

मेघवाल ने पत्र में आरोप लगाया कि कटारिया खुद पर दाग नहीं लगने की बात करते हैं लेकिन कटारिया की छत्रछाया में पार्टी पद और टिकट बंटवारे में लाखों-करोड़ों रुपए की हेराफेरी होती रही है। अशोक परनामी ने लाखों रुपयों को वापस लौटवाया था। यदि आरएसएस का रक्षा कवच हट जाए और इसकी सार्वजनिक जानकारी हो जाए तो दर्जनों माई के लाल सामने आ जाएंगे।
वसुंधरा जा विरोध करने की कसम खाई थी

मेघवाल ने लिखा कि “2008 में गुलाब चंद कटारिया, घनश्याम तिवाड़ी, अरुण चतुर्वेदी और औंकार सिंह लखावत ने गंगाजल लेकर सौगंध खाई थी कि वसुंधरा राजे के पक्ष में कभी नहीं जाएंगे। कटारिया ने स्वयं के स्वार्थ साधने के लिए इस सौगंध को सबसे पहले तोड़ा और वसुंधरा राजे की शरण में चले गए।
यह लिखा है पत्र में

मेघवाल ने लिखा है कि कटारिया ने 13 अप्रेल को राजमसंद में एक चुनावी सभा में महाराणा प्रताप को लेकर बयान दिया था। इसके बाद उन्होंने खूब माफी भी मांगी, लेकिन उनके बयान के चलते रामसमंद में पार्टी को वोटों का खासा नुकसान हुआ। इस बयान का मामला ठंडा पड़ा भी नहीं था कि उन्होंने भगवान राम को टिप्पणी कर दी कि ‘भाजपा नही होती तो भगवान राम समु्द्र में होते’। कटारिया के इन बयानों की वजह से सर्व समाज ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं और उनका इस्तीफा तक मांगा गया। यही नहीं भाजपा कार्यकर्ताओं में भी असंतोष उभरा।
कांग्रेस की सरकार लुंजपुंज

मेघवाल ने पत्र में कांग्रेस सरकार को लुुजपुंज बताया और कहा कि कांग्रेस की गुटबाजी के बावजूद हम तीनों उप चुनाव नहीं जीत पाए। क्या गारंटी है कि कटारिया के बयानों का अस्तित्व भविष्य में समाप्त हो जाएगा। ऐसा होना बिलकुल असंभव है। मेघवाल ने पत्र में तीनों उप चुनावों का विश्लेषण भी दिया है।
सुंदर सिंह भंडारी के दबाव में दिया कटारिया को टिकट

मेघवाल ने पत्र में लिखा है कि 1977 में भाजपा के कई सीनियर नेताओं की उपेक्षा कर सुंदर सिंह भंडारी के दबाव में पार्टी ने गुलाबचंद कटारिया को टिकट दिया और वो जीत गए। तब से ही उनकी कार्यशैली अपना हित साधने की रही है। उन्होंने सैंकड़ों कार्यकर्ताओं की राजनीति हत्याएं करने के षड्यंत्र रचे। 1977 में ही भैरोसिंह शेखावत मंत्रिमंडल में मुझे शामिल किया गया, लेकिन कटारिया किस न किसी तरीके से मंत्री बनने के मंसूबे बांधते रहे।
1979 में मेरे खिलाफ चरित्र हनन का विस्फोट हुआ

मेघवाल ने लिखा कि 1979 में मेरे खिलाफ चरित्र हनन के षड्यंत्र का विस्फोट किया गया। इसके पीछे कटारिया मुख्य पात्र थे। भाजपा नेताओं, सांसदों और विधायकों के पास इसकी प्रति पहुंचाई गई। प्रदर्शन हुए, पुतला दहन किया गया। छात्र जगत में अभियान की कमान आज के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने संभाली थी। इसके बाद जांच हुई और इसे एक षड्यंत्र बताया गया। मैंने राजसमंद से चुनाव लड़ने से मना कर दिया था, जिसके बाद मुझे अजमेर से भैरोसिंह शेखावत ने चुनाव लड़वाया था।
भिंडर की प्रशंसा की

पत्र में मेघवाल ने कटारिया के चिर प्रतिद्वंद्वी भिंडर की तारीफ की है। उन्होंने लिखा कि वल्लभनगर में उप चुनाव होना है मगर कटारिया ने भिंडर के द्वार बंद कर दिए हैं। मगर भिंडर ने आज तक आरएसएस के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है।

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