कोर्ट ने आदेश में कहा कि पूर्व राज्यपाल कमला को संविधान के अनुच्छेद 361 के अन्तर्गत मिले विशेष अधिकार का फायदा नहीं मिलेगा। उन्हें भी अन्य आरोपियों की तरह सीआरपीसी की धारा 204 के तहत समन से तलब किया जाए।
अधिवक्ता एके जैन ने बताया कि संजय किशोर अग्रवाल ने 16 अगस्त 2012 को अदालत में 17 लोगों के विरुद्ध इस्तगासा पेश किया था। परिवाद में मुआवजे के रूप में अमर सिंह जाट, अजय कुमार जाट, चन्द्रप्रकाश गुलेरिया, गोपीराम रेगर, गोपालराम हरिजन, हरिनारायण मीणा, हनुमान सिंह जाट, राधाकृष्ण चौधरी, रतन सिंह, रणवीर सिंह जाट, राकेशकुमार सिंह, राजेन्द्र सिंह पूनिया, सुरजाराम, शांतिदेवी बलाई, संजीव आर्य, सुमित शर्मा व विजयपाल आर्य को आरोपी बताया गया।
परिवाद में डॉ. कमला पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने भी बेशकीमती राजकीय आवासीय भूमि 1516 वर्गमीटर ले रखी है। उन्हें संविधान की धारा 261 में आपराधिक अभियोजन नहीं किए जाने की छूट मिली हुई है। तत्कालीन वैशालीनगर एसीपी मोहेश चौधरी ने मई 2014 में जांच पूरी कर अंतिम नतीजा कोर्ट में पेश किया था। इसमें बताया था कि 1951 में सरकार ने कृषि के लिए 218.75 एकड़ भूमि आवंटित की थी।
लीज अवधि पूरी होने के बाद जमीन पर सरकार ने अधिग्रहण कर लिया था। मामले में जिन लोगों को सहकारी समिति बनाकर कृषि के लिए जमीन आवंटित की थी, उन्हें बेदखल कर फर्जी दस्तावेजों से कब्जा किया गया और अधिग्रहण के दौरान मुआवजे के रूप में आरोपियों ने जमीनें ले लीं।