पर्यावरण एवं स्वास्थ्य का महीना मान्यता है कि सुबह स्नान करने के बाद देवदर्शन करना चाहिए। इसी के साथ तुलसी, पीपल, आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। यहां दीपक जलाने के साथ ही पौधों में जल चढ़ाया जाता है। इसी तरह शाम के समस भी दीप प्रवज्जलन का महत्व है यानिक कहा जा सकता है कि सूर्य तथा चन्द्रमा की किरणों के संपर्क में रहने से स्वास्थ्य का फायदा होता है और यह महीना हमें पौध रोपण की प्रेरणा देता है।
बदला गोविंद देव झांकी का समय कार्तिक मास में होने वाली भीड़ की वजह से आज से ही झांकियों के समय में परिर्वतन किया गया है कुछ झांकियों का समय बढ़ा भी दिया है आज से ही मंगला झांकी सुबह साढ़े चार बजे से सुबह पौने छह बजे तक खुली रहेगी। इसी तरह धूप आरती का समय सुबह सवा आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक कर दिया गया है शाम को होने वाली झांकियों का समय भी बढ़ाया गया है।
शरद पूर्णिमा पर विशेष झांकी आज शरद पूर्णिमा है देवालयों में विशेष झांकी सजाने के साथ ही भगवान को खीर का भोग लगाया जाएगा। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था और इस दिन भगवान को खीर का भोग लगाकर चंद्रमा की रोशनी में रखकर रात 12 बजे बाद खाना चाहिए। गोविंद देव मंदिर में आज रात पूर्णिमा की विशेष झांकी खुलेगी। जिसमें भगवान के साथ चांदी की चौपड़ सहित अन्य प्रतिमाओं का रखा जाएगा और भगवान को खीर का भोग लगाकर प्रसादी वितरण होगा। ऐसी परंपरा के पीछे कारण है स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की 16 कलाएं होती है और अमावश्य से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलती है यानि कि अमावश्य को जहां चंद्रमा की अदृश्य कला होती है तो पूर्णिमा पर पूरा चंद्रमा होता है और साल में केवल शरद पूर्णिमा ऐसा दिन है जब चंद्रमा से 16 कलाओं से प्रकाश एक साथ पृथ्वी पर आती है।