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जयपुर

गैंगरेप-मर्डर केस के मुल्जिम बच न पाएं सजा हो एेसी कि नर पिशाच कांप जाएं

राजस्थान की राजधानी जयपुर में जहां महारानी कॉलेज की छात्राओं ने बलात्कारी-हत्यारों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया।

जयपुरApr 16, 2018 / 07:31 pm

santosh

Kathua gangrape
राजेंद्र शर्मा/जयपुर। आपके आस-पास कोई आठ साल की बच्ची है तो उसके मासूम चेहरे को देखिए और कल्पना कीजिए कठुआ में हुए इतनी ही नादान बच्ची के साथ पुलिस अफसर से लेकर कई दरिंदों ने जब बेरहमी से बारी-बारी से बलात्कार किया होगा, तब उस बच्ची पर क्या बीत रही होगी, उसका क्रंदन कैसा होगा, उसके चीखने-बिलबिलाने पर वहशियों ने कैसे ठहाके लगाए होंगे, उस लाडो को क्या यह अहसास भी था कि उसके साथ क्या हो रहा है…हिल गए न भीतर तक, जवाब दे गया न आपका धैर्य। तो, ऐसे दरिंदों का साथ देतेे, इनकी गिरफ्तारी का विरोध करते और उनके नृशंस दुष्कृत्य पर पर्दा डालने के लिए मामले को हिंदू-मुस्लिम रंग देने की पुरजोर कोशिश करते तिरंगा लेकर रैली निकाल रहे लोगों के लिए आपके मन में क्या-क्या लफ्ज आ रहे हैं, उन्हें फिलहाल मन में ही रखिए, क्योंकि इस गैंगरेप-मर्डर केस में कई जगह आपका दिल खौलेगा, आंखें नम होंगी और दांत खुद-ब-खुद किटकिटाने लगेंगे।
दास्तां-ए-वारदात
इसी साल 12 जनवरी को जम्मू के कठुआ के एक गांव में बाशिंदे ने इलाके के हीरानगर पुलिस स्टेशन में अपनी आठ वर्ष लाडो के लापता होने की रपट दर्ज कराई थी। उसकी मासूम बेटी 10 जनवरी को जंगल में घोड़े चराने के लिए गई, घोड़े वापस आ गए, वह नहीं आई। जंगल में बेटी की खूब तलाश की, वो नहीं मिली। फिर, 17 जनवरी को पुलिस ने उस मासूम का क्षत-विक्षत शव बरामद किया। इसके बाद वह सबकुछ हुआ, जो नहीं होना चाहिए था। स्थानीय पुलिस ने आरोपियों को जानते हुए भी न कोई गिरफ्तारी की न इस मामले में एक कदम भी बढ़े। बताते हैं उन्हें इसके लिए भरपूर घूस मिल गई थी। वारदात से पहले भी और भयानक दुष्कृत्य के बाद भी। बात तूल पकडऩे लगी तो जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। थाना पुलिस की पोल खुल गई। मासूम की अस्मत तार-तार कर उसे मौत की घाट उतारने और उसके बाद मामले को दबानेे तक के हुए सौदे कर पर्दाफाश हो गया।
क्राइम ब्रांच की रिपोर्ट
क्राइम ब्रांच की जांच में जो हकीकत सामने आई, उसने न सिर्फ जम्मू-कश्मीर राज्य, बल्कि पूरे हिंदुस्तान को हिला दिया। क्राइम ब्रांच ने जो चार्जशीट तैयार की उसके मुताबिक समूची वारदात सोची-समझी साजिश के तहत हुई। बच्ची लापता तो हुई थी 10 जनवरी को, जबकि इसका षड्यंत्र 4 जनवरी को ही रच लिया गया था। जांच में मुजफ्फरनगर से आकर मासूम के साथ रेप करने वाले ने गैंगरेप और उसके बाद हत्या की घटना पुलिस को बताई। पशु भी नहीं कर सकते ऐसे तो…पहले बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया, फिर पत्थरों से पीटकर हत्या कर लाश को जंगल में फेंका गया। जांच के दौरान सांजी राम ने पुलिसकर्मियों को मामला दबाने के लिए 1.5 लाख रुपए की रिश्वत भी दी।
उफ! ऐसी दरिंदगी
चार्जशीट पर गौर करें तो नरपिशाचों ने दरिंदगी की सभी हदें पार कर दीं। जब सभी आरोपी मासूम से बारी-बारी से रेप कर रहे थे, एक आरोपी विशाल ने मेरठ में पढऩे वाले अपने चचेरे भाई को फोन करके कहा था, अगर ‘मजा लूटना चाहता’ है तो आ जा। अब थाम लीजिए अपना दिल…चार्जशीट के मुताबिक बच्ची को मारने से ऐन पहले एक पुलिस अधिकारी ने उन्हें कुछ देर के लिए यह कहकर रोका कि वह अंतिम बार फिर रेप करना चाहता था। और तो और, इसके बाद दूसरे आरोपियों ने भी फिर से बच्ची का रेप किया। चार्जशीट के मुताबिक मारने के बाद भी आरोपियों ने यह पक्का करने के लिए मासूम कहीं बच न जाए, उसके सिर पर पत्थर से कई वार किए।
ये हैं आरोपी
पूर्व राजस्व अधिकारी सांजी राम, उसका बेटा विशाल, सब-इंस्पेक्टर आनंद दत्ता, दो विशेष पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया और सुरेंद्र वर्मा, हेड कान्स्टेबल तिलक राज और प्रवेश कुमार हैं आरोपी। इनके खिलाफ रेप, मर्डर और साक्ष्यों को छिपाने की अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
दरिंदों का समर्थन
इस मामले का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि दरिंदगी करने वाले नर पिशाचों के खिलाफ जहां पूरे देश को खड़ा हो जाना चाहिए था, वहीं कश्मीर के ही कुछ सियासी लोगों ने इसे सांप्रदायिक रंग दे डाला। एक हिंदू एकता मंच नामक संगठन ने रैली निकाली, जिसमें मांग की गई कि आरोपियों, खासकर दुर्दांत पुलिस अधिकारी को गिरफ्तार न करने की मांग की गई। हालांकि समूचे देशवासियों के दिल में इन दरिंदों के प्रति जबरदस्त नफरत है, लेकिन ऐसे मामले को संप्रदाय के तराजू में तोलने का प्रयास कुत्सित ही कहा जाएगा।
एक शेर है इन दरिंदों के लिए-
जो बलात्कारी हैं वो हिंदू न मुसलमान हैं
ऐसे दरिंदे तो सिर्फ आैर सिर्फ हैवान हैं।
रोहतास में भी यही हाल

जिस विचारधारा के लोग कठुआ में मुस्लिम बच्ची के साथ दरिंदगी करने वाले नर पिशाचों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं रोहतास में हिंदू बच्ची के साथ हुई दरिंदगी पर उसी विचारधारा के लोगों की राय बदल जाती है, क्योंकि यहां दरिंदा मुसलमान था। कहते हैं, ऐसे अपराधी को चौराहे पर बांध कर मार डालना चाहिए। यह न सिर्फ दोहरा मापदंड है, बल्कि देश में ध्रुवीकरण का घिनौना प्रयास भी है। ये कुत्सित कोशिश कौन कर रहे हैं, यह आपको मालूम ही है।
उन्नाव में कोर्ट के कारण कार्रवाई
उन्नाव दुष्कर्म मामले ने बीजेपी सरकार की चूलें हिला दी हैं। एक साल तक कार्रवाई न होना, बलात्कारियों का जमानत पर छूटकर सरेआम घूमना, पीडि़ता के पिता को इतना टॉर्चर करना कि वह मर गया, मुख्यमंत्री निवास पर पीडि़ता के परिवार सहित आत्मदाह के प्रयास के बावजूद मामले को फौरी तौर पर लेना, हाईकोर्ट में मामला जाने पर आनन-फानन में एसआईटी और फिर सीबीआई को मामला सौंपना, हाईकोर्ट के सख्त होने पर कार्रवाई होते दिखना। क्या दर्शाता है यह सब? सरकार का बलात्कारियों के साथ होना नहीं दर्शाता? एनकाउंटर स्पेशलिस्ट बनी हुई सरकार की अपनी पार्टी के एक बाहुबली विधायक को लगातार कानून की खिल्ली उड़ाते घूमने की छूट देने वाली छवि सामने आ गई। रही सही कसर हाईकोर्ट ने खोल कर रख दी। समूचा देश इन जघन्य सामूहिक बलात्कार-हत्या कांडों से उद्वेलित है, आक्रोशित है। कम ही मौकों पर विरोध जताने वाली ललनाओं का गुस्सा सड़कों पर फूट रहा है।
महारानी कॉलेज की छात्राओं की सख्त से सख्त सजा देने की मांग
राजस्थान की राजधानी जयपुर में जहां महारानी कॉलेज की छात्राओं ने बलात्कारी-हत्यारों को सख्त से सख्त सजा देने की मांग करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया, वहीं प्रदेश के कई शहरों में ऐसे विरोध प्रदर्शन हुए। राजस्थान के जयपुर, सीकर, बीकानेर आदि स्थानों पर मासूम बच्चियों के साथ भी ऐसे ही नृशंस कांड हो चुके हैं। फिर भी, सरकारें चाहे यूपी, राजस्थान, दिल्ली, कश्मीर कहीं की भी हो क्यों नहीं वक्त रहते ऐसे कदम उठाती, ऐसी सजा का प्रावधान करती कि अपराधियों की रूह ऐसे कांड करने की कल्पना से ही कांप जाए। खैर, इन तीनों मामलों में यदि सभी दुष्कर्मी दरिंदों को निर्भया केस की तरह जल्द से जल्द सजा नहीं हुई, तो पूरे देश का पुलिस, सीबीआई और कानून पर से इन दिनों डगमगाता विश्वास टूट भी सकता है, फिर न जुमले चलेंगे, न आश्वासन, न वादे।

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