विभिन्न संगठनों व स्कूली विद्याॢथयों ने यहां कैंडल मार्च भी निकाला।स्कूली विद्यार्थी शाम को अमर जवान ज्योति स्मारक पर एकत्र हुए। वे हाथों में दुष्कर्म के खिलाफ नारे लिखे और कठोर सजा की मांग के नारे लिखी त ितयां ले रखे थे। इस दौरान रंगकॢमयों के एक दल ने दुष्कर्म के खिलाफ नुक्कड़ नाटक का मंचन भी किया। इसके बाद सभी लोग हाथों में जलती हुई मोमबत्तियां लेकर मार्च को निकले। इसी दौरान लाल सेना के बैनर तले अध्यक्ष हेमलता शर्मा के नेतृत्व में यहां दुष्कर्म की घटनाओं के खिलाफ प्रदर्शन किया गया।
क्या वाकई इतनी बड़ी हो गई है समुदाय और धर्म की लड़ाई ऐसे मामलों को देखकर एक सावाल उठता है कि क्या हमारे देश में समुदाय-धर्म जैसी चीजे वाकई इतनी बड़ी हो गई हैं कि एक 8 साल की बच्ची को भी उसका शिकार बनाने में किसी को कोई हिचक नहीं होती? हम इंसानों को जानवरों में सबसे ऊपर का दर्जा दिया गया है क्योंकि हम में क्या गलत है और क्या नहीं ये सोचने समझने की शक्ति ज्यादा होती है. मगर फिर कठुआ जैसे मामलों को देख कर लगता है कि हम तो जानवर कहलाने के लायक भी नहीं बचे हैं.
तरस आता है उन लोगों पर और उनकी मानसिकताओं पर जो लोगों की हिफाजत के लिए पुलिस में भर्ती होते हैं, मगर अपने मतलब को पूरा करने के लिए 8 साल की बच्ची तक को कुचल देते हैं. महज 8 साल की बच्ची जिसे शायद धर्म का असली मतलब भी नहीं पता उसके साथ बार बार एक हफ्ते तक रेप किया गया. वो भी मंदिर जैसी जगह पर.
इस घिनौनी करतूत का मास्टरमाइंट 60 साल का रिटार्यड सेल्स ऑफिसर था. इसके अलावा इस साजिश में 6 लोग और शामिल थे. इस मामले में दाखिल की गई चार्जशीट के मुताबिक मास्टमाइंड सांजी राम ने अपने भतीजे को खास तौर मेरठ से बुलाया ताकि वो भी उस मासूम सी बच्ची को अपना शिकार बना सके.