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गुर्दे के कैंसर का 24 सेमी बडा ट्यूमर निकाला

locationजयपुरPublished: Jan 06, 2020 06:27:36 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

kidney Cancer : जयपुर . शहर के Doctors ने kidney Cancer का 24 सेमी बडा Tumor निकालने में सफलता प्राप्त की है। इसमें खास बात यह रही कि यह ट्यूमर kidney की खून की नली के रास्ते होता हुआ हार्ट के निचले चैम्बर तक अपनी जड़े जमा चुका था। डॉक्टरों का दावा है कि विश्व में इस तरह का यह तीसरा सफल Operation है।

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kidney cancer : जयपुर . शहर के चिकित्सकों ( Doctors ) ने गुर्दे के कैंसर ( kidney Cancer ) का 24 सेमी बडा ट्यूमर ( Tumor ) निकालने में सफलता प्राप्त की है। इसमें खास बात यह रही कि यह ट्यूमर किडनी ( kidney ) की खून की नली के रास्ते होता हुआ हार्ट के निचले चैम्बर तक अपनी जड़े जमा चुका था। डॉक्टरों का दावा है कि विश्व में इस तरह का यह तीसरा सफल ऑपरेशन ( Operation ) है।

मामला मालवीय नगर स्थित हॉस्पिटल का है जहां वरिष्ठ यूरोसर्जन डॉ राकेश शर्मा के नेतृत्व में चिकित्सकों की टीम ने यह कारनामा कर दिखाया। अमूमन इस तरह के मामलों में मरीज की मौत होती आई है। ऑपरेशन करने वाली चिकित्सकों की टीम में कार्डियक सर्जन डॉ. विमलकांत यादव, गेस्ट्रोसर्जन डॉ. विनय मेहला, यूरोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ जैन, क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डॉ. शैलेष झंवर, डॉ आशीष शामिल थे।
डॉक्टरों का दावा है कि इस तरह की सफल सर्जरी विश्व में अब तक सिर्फ दो ही हुई है, ये तीसरी है। इसमें ऑपरेशन के उपरांत निकाले गए गुर्दे की बायोप्सी में क्लियर सेल कार्सिनोमा पाया गया। क्लियर सेल कार्सिनोमा प्रकार के कैंसर जो कि 20 सेमी से अधिक हो तथा जिनमें कैंसर हार्ट तक पहुंच चुका हो, अब तक पूरे विश्व में सिर्फ दो ही सफल रूप से ऑपरेट हो सके हैं। ये डाटा इंटरनेट पर उपस्थित वल्र्ड जरनल में उपलब्ध है।
सगंगानगर निवासी 60 वर्षीय मरीज अमरजीत सिंह पेशाब में अचानक खून आने और खून के थक्के आने की समस्या से ग्रस्त थे। बीकानेर के विभिन्न अस्पतालो एवं दिल्ली के अस्पतालो तक दिखाने के बाद भी मरीज की समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई थी। इसके बाद यूरोलॉजिस्ट डॉ राकेश शर्मा ने इनका इलाज शुरू किया। प्रारंभिक दौर में इनके सीटी स्केन में गुर्दे का कैंसर होना पाया गया। इसके बाद एमआरआईए 2डी ईको में ये पाया गया कि कैंसर हार्ट के निचले दाएं चैम्बर (दायां वेंट्रीकल) में अपनी जगह बना चुका था।
इसके बाद सीटी वीएस सर्जन और कार्डियक एनस्थेटिक्स से चर्चा करने के बाद इस पेशेंट को ऑपरेशन के लिए प्लान किया गया। यही इसका अंतिम विकल्प था अन्यथा मरीज की किसी भी समय मौत हो सकती थी। क्योंकि हार्ट में उपस्थित थ्रोम्बस फेफड़े में जा सकता था जो किसी भी समय मरीज के लिए प्राणघात साबित हो सकता था। करीब 8 घंटे तक चले इस जटिल ऑपरेशन के बाद मरीज की जान बच सकी।
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