राजस्थान दो सांसद किसानों की मांगे उठाते हुए धरने पर हैं। भाजपा के दौसा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा जहां दौसा कलेक्ट्रेट के बाहर राज्य की गहलोत सरकार के खिलाफ ‘पड़ाव’ डाले बैठे हैं, तो वहीं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक दल के नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर मोदी सरकार के विरोध में मोर्चा खोले हुए हैं।
ख़ास बात ये है कि दोनों ही नेता भले ही अलग-अलग राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखते हों, लेकिन मकसद किसानों की मांग उठाते हुए सरकार को घेरने का बना हुआ है।
टस से मस नहीं हो रहे डॉ मीणा
राज्य सभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा अपने ही संसदीय क्षेत्र की दौसा कलेक्ट्रेट के बाहर 6 सूत्री मांगों को लेकर धरने पर बैठे हुए हैं। कलक्टर सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की ओर से मान मनुहार और आश्वासनों के बावजूद सांसद का धरना अब तक जारी है।
डॉ किरोड़ी की कुल 6 मांगों में से दो मांगें किसानों के हित से जुडी हुई हैं। इनमें बिजली बिलों में पूर्ववर्ती सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी छूट पुनः लागू करने और फ्यूल चार्ज के नाम पर वसूली जा रही राशि तुरंत प्रभाव से बंद करने से जुडी मांगें शामिल हैं, जो किसानों को राहत दिलाने की मंशा से उठाया जाना बताया गया है।
28 दिन से धरने पर बेनीवाल
सांसद हनुमान बेनीवाल तो केंद्र के कृषि कानून के विरोध में पिछले 28 दिन से धरने पर हैं। वे अलवर के शाहजहांपुर-खेड़ा बोर्डर पर अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ पड़ाव डाले हुए हैं। बेनीवाल भी इस बात पर अड़े हुए हैं कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक वे किसान आन्दोलन के समर्थन में शांतिपूर्ण तरीके से धरना जारी रखेंगे।
धरने पर ही बीती सर्द रात
दोनों सांसदों की शुक्रवार की रात सर्द हवाओं के बीच धरना स्थल पर गुज़री। ऐसा पहली दफा देखा गया है जब राजस्थान के दो सांसदों ने भले ही अलग-अलग रहकर पर एक ही दिन धरना स्थल पर ही रात गुजारी है।
कभी साथ-साथ हुआ करते थे किरोड़ी-बेनीवाल
किसानों की मांगों के समर्थन में अलग-अलग धरना दे रहे सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा और सांसद हनुमान बेनीवाल कभी साथ-साथ रहते हुए मंच साझा कर चुके हैं। एक वक्त ऐसा रहा था जब दोनों नेताओं ने भाजपा से नाता तोड़कर दोनों प्रमुख पार्टियों के खिलाफ ‘तीसरे मोर्चे’ की हूंकार भरी थी।
हालांकि बाद में दोनों ने ही वक्त के साथ यू-टर्न भी लिया। किरोड़ी ने भाजपा में दोबारा एंट्री ली और संसद तक पहुंचे, जबकि बेनीवाल ने रालोपा का गठन करने के बाद भाजपा के साथ गठबंधन किया। हालांकि अब भाजपा और रालोपा के बीच टकराव से गठबंधन अब ख़त्म हो चुका है।