चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध में दिखाया था अपना जौहर
राजस्थान में पिछले कई सालों से गुर्जर आरक्षण आंदोलन ( gurjar aarakshan ) की अगुवाई करने वाले कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला का जन्म राजस्थान के करौली जिले के मुंडिया गांव में हुआ। कॅरियर के शुरुआत में बैंसला ने कुछ समय तो शिक्षक के तौर पर काम किया, लेकिन पिता के सेना में होने के चलते उनका रूझान भी उस ओर जाने का हुआ और आखिर वो भी सेना की राजपूताना राइफल्स में भर्ती हो गए। बैंसला ने सेना में रहते हुए 1962 के भारत-चीन और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में अपना जौहर दिखाया। बैंसला सेना में रहते हुए पाकिस्तान के युद्धबंदी भी रहे।
अपनी जांबाजी के दम पर बैंसला सेना में दो उपनामों से प्रसिद्ध थे। उनके सीनियर्स उन्हें ‘जिब्राल्टर की चट्टान‘ और साथी जवान ‘इंडियन रेम्बो‘ कह कर पुकारते थे। सेना में अपनी जांबाजी के दम पर एक मामूली सिपाही से तरक्की पाते हुए कर्नल की रैंक तक पहुंचे थे।
बेटे भी हैं सेना में
किरोड़ी सिंह बैंसला की तरह ही देश सेवा का जज्बा लिए उनके बेटे भी सेना में हैं। बैंसला के चार संतान एक बेटी और तीन बेटे हैं। दो बेटे सेना में हैं जबकि एक बेटा निजी कंपनी में काम करता है। बेटी रेवेन्यू सर्विस है। किरोड़ी सिंह बैंसला की पत्नी का निधन हो चुका है।
सेना से रिटायर होने के बाद बैंसला ने गुर्जर समुदाय के लिए अपनी लड़ाई शुरू की। उन्होंने गुर्जर आरक्षण समिति की अगुवाई करते हुए राजस्थान की सरकारों से गुर्जरों की मांगें मनवाने में जुट गए। अपनी मांगों को मनवाने के लिए आंदोलनों की राह अपनाते हुए बैंसला ने कई बार रेल रोकी, पटरियों पर धरने पर बैठे। अपने आंदोलनों से राज्य सरकार को आरक्षण पर फैसले के लिए मजबूर किया।