-दशकों से सपना फाइलों में बंद दशकों से खीचन को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का सपना फाइलों से बाहर नहीं आ रहा था। इस बार खीचन को विकसित करने की जिम्मेदारी डॉ. समित शर्मा ने अपने हाथ ली। तेजी से इस पर कार्य करना शुरू किया।। प्रवासी पक्षी कुरजां के शीतकालीन पड़ाव स्थल पर इन मेहमान परिंदों को सुरक्षित, मनभावन एवं प्राकृतिक वातावरण सुलभ करवाने के लिए उनके पड़ाव स्थल खीचन में कुरजां कंजर्वेशन रिजर्व बनाने की कवायद शुरू की गई है।
-देश का पहला कुरजां कंजर्वेशन रिजर्व यह देश का पहला कुरजां कंजर्वेशन रिजर्व होगा। इसके लिए पूर्व में आवंटित जमीन के साथ प्रस्तावित अतिरिक्त जमीनों का अवलोकन करने के लिए वन व पर्यटन विभाग की टीम ने मंगलवार को खीचन गांव का दौरा किया। डॉ. शर्मा ने बताया कि इसके लिए सरकार की ओर से गठित विशेष टीम ने मंगलवार को खीचन पहुंचकर प्रवासी पक्षी कुरजां के पड़ाव स्थलों का दौरा किया तथा कुरजां कंजर्वेशन रिजर्व के लिए पूर्व में खसरा नंबर 170 में आवंटित 400 बीघा जमीन एवं इसके आस-पास स्थित खसरा नंबर 158, 160 व फलोदी के खसरा नंबर 596 की प्रस्तावित जमीनों का अवलोकन किया। डॉ. शर्मा के अनुसार सरकार की ओर से गठित विशेष टीम खीचन में कुरजां संरक्षण के लिए जमीनों की उपलब्धता एवं प्रस्तावित प्लान की रिपोर्ट हमें सौंपेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर करीब 12 सौ बीघा अतिरिक्त जमीन आवंटित की जाएगी।
-डेमोसाइल क्रेन हर साल सितंबर में पहुंचती खीचन कुरजां (डेमोसाइल क्रेन) प्रति वर्ष सितंबर माह के प्रथम सप्ताह में खीचन पहुंच जाती है तथा गर्मी की दस्तक के साथ ही मार्च में वतन वापसी की उड़ान भरती है। इस दौरान छह माह के शीतकालीन प्रवास में ये पक्षी यहां हजारों की तादाद में एकत्रित होकर खीचन को पर्यटक स्थल का रूप दे देते हैं। कुरजां का छह माह की लंबी अवधि तक प्रवास न केवल पर्यटन, बल्कि पक्षी शोध के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण है।