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जयपुर

लघुकथा -बिटिया

तुम अगर साहस न दिखातीं तो मैं भी समाज की इस दकियानूसी सोच का शिकार हो जाती कि वंश चलाने के लिए बेटा ही पैदा होना चाहिए।

जयपुरNov 24, 2020 / 11:36 am

Chand Sheikh

लघुकथा -बिटिया

लघुकथा -बिटिया

बिटिया
रेनू शर्मा ‘शब्द मुखर’

इस वृद्धावस्था में नीता बेटी की सेवा और समर्पण देख आज दिल भर आया। सोच में पड़ गई, कितना बवाल मचाया था सास ने और इसके पापा ने, जब घर पर पता चला कि कोख में लड़की है। मेरी तो शामत ही आ गई थी। रोज घर की शांति भंग। तुम अबॉर्शन करवा लो या घर से निकल जाओ।
घर वालों का यह अंतिम फैसला था और मैं इतना विरोध करने पर भी चुपचाप अपनी बेटी को जन्म देने की जिद से उस दिन घर छोड़कर चली आई। यह नहीं सोचा कि कहां जाऊंगी? क्या करुंगी? पर मन में ठान लिया था कि बिटिया इस कोख से बाहर आएगी। इतने में ऋतु आती है- अरे मां क्या सोच रही हो? तुम्हारी दवाई का वक्त हो गया है, फिर तुम्हें वॉक पर भी जाना होता है न।
देखो तो सही आठ बज गए हैं, दस बजे मुझो ऑफिस भी जाना है। मां ने ऋतु के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- सच, मैं तो तुझा जैसी बेटी पाकर धन्य हो गई हूं। आज तेरे पिता ऊपर से तुझो देख कर पछता रहे होंगे कि उन्होंने तेरे साथ कितनी नाइंसाफी की। जिद पकड़ी हुई थी कि पहला बच्चा बेटा ही होगा। तुझो बाप के प्यार-दुलार से वंचित रखा। यह सब सुन ऋतु ने कहा-तुम भी मां क्या-क्या सोचती रहती हो। ज्यादा इसी तरह सोचोगी तो ठीक कैसे होगी। तुम्हें ठीक होना है, वह भी जल्दी और मेरे लिए ही ठीक होना है। याद है, मैं हमेशा यही कहती हूं कि तुम मेरे लिए मां-बाप दोनों हो। मैं हमेशा तुम्हें अपने साथ मेरा संबल बनकर देखना चाहती हूं। तुम ही हो जिसकी बदौलत मैं आज सांस ले रही हूं। तुम अगर साहस न दिखातीं तो मैं भी समाज की इस दकियानूसी सोच का शिकार हो जाती कि वंश चलाने के लिए बेटा ही पैदा होना चाहिए।क्यों मां? कब हमारे समाज में चेतना आएगी। कहने को तो हमारा देश प्रगति कर रहा है पर, क्या विचारों से उन्नत हो पाया है?
मुझो गर्व है कि तुमने खुद को मुसीबत में रख कर भी मुझो जन्म दिया। आज मैं इस काबिल हूं कि मुझो अपनी मां की सेवा करने का पुण्य मिल रहा है। तुम मेरे लिए भगवान हो मां। अगर तुम्हें कुछ हो गया तो, देखना तुम्हारी ऋतु मर जाएगी। देखना, मैं शादी भी उसी से करूंगी जो मुझो तुम्हारे साथ स्वीकारेगा और तुम्हें अपनी सास नहीं मां मानेगा। इस वर्ष आईएएस ऑफिसर बन जाऊं तो बस तुम्हारा ख्वाब पूरा हो जाएगा।
अब जल्दी से वॉक के लिए तैयार हो जाओ। ऋतु ने प्यार से डांट कर मां से कहा। मां की आंखों से आंसू बहने लगे। आंसू पोंछते हुए मां ने कहा- वाकई मेरी बिटिया समझदार हो गई है।
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