मसूर आयात शुल्क में कटौती से चने में भी नरमी
नई दिल्ली। मसूर आयात ( lentil import ) शुल्क में कटौती को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। केंद्र सरकार ( central government ) ने मसूर पर आयात शुल्क ( import duty ) 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया है, जिससे चना ( gram ) समेत अन्य दलहनों के दाम पर भी दबाव आ सकता है और किसानों ( farmers ) को उनकी फसलों का वाजिब दाम ( fair price ) दिलाना मुश्किल होगा। दाल कारोबारी समेत बाजार विशेषज्ञों ने मसूर पर आयात शुल्क घटाने को लेकर सरकार की नीति पर सवाल उठाया है।
मसूर आयात शुल्क में कटौती से चने में भी नरमी
ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल का कहना है कि मसूर पर आयात शुल्क में कटौती करने का फैसला किसानों के हक में नहीं है, क्योंकि इससे चना के दाम पर भी दबाव आएगा। चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4875 रुपए है, जबकि इस समय बाजार में चना 3800 से 4000 रुपए प्रतिक्विंटल बिक रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले से चंद कारोबारियों को लाभ होगा, जबकि देश के किसानों का नुकसान होगा।
मसूर का भाव इस समय देश के बाजारों में 5100 से 5300 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है, जोकि मसूर के एमएसपी 4800 रुपए से 300 से 500 रुपए प्रति क्विंटल अधिक है। मतलब, सिर्फ मसूर ही ऐसी दलहन फसल है, जिसका किसानों को एमएसपी से ज्यादा भाव मिल रहा है। सरकार ने महज तीन महीने यानी 31 अगस्त तक के लिए मसूर पर आयात शुल्क में कटौती की है, जिसके कारण इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि भारत में मसूर पर आयात शुल्क में कटौती के साथ ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में इसकी कीमतों में वृद्धि हो गई है।
दलहन बाजार के जानकार बताते हैं कि सरकार के इस फैसले से सिर्फ उन्हीं कारोबारियों को फायदा होगा, जिनका माल पहले ही भारत के लिए रवाना हो चुका है और इस समय समुद्र में मालवाहक जहाज में है।
देश में दलहन व अनाज कारोबारियों का शीर्ष संगठन इंडिया पल्सेस एंड ग्रेंस एसोसिएशन (आईपीजीए) के अध्यक्ष जीतू भेरा ने सरकार के इस फैसले पर हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि इस समय मसूर पर आयात शुल्क घटाने का कोई तुक नहीं था। उन्होंने भी कहा कि यह फैसला देश के किसानों के हक में नहीं है। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड की ओर से दो जून को जारी अधिसूचना के अनुसार, मसूर पर आयात शुल्क 30 फीसदी से घटाकर 10 फीसदी कर दिया गया है। इस अधिसूचना के बाद कनाडा में मसूर का भाव 600 डॉलर से बढ़कर गुरुवार को 680 डॉलर प्रति टन (सीएनएफ) हो गया। मतलब इस भाव पर भारत के पोर्ट पर मसूर पहुंचेगी। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले महीने जारी तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, देश में मसूर का उत्पादन 2019-20 में 14.4 लाख टन है, जबकि 2018-19 में 12.3 लाख टन था। मतलब पिछले साल के मुकाबले इस साल उत्पादन ज्यादा है। तीसरे अग्रिम उत्पादन अनुमान के अनुसार 2019-20 में सभी दलहनों का उत्पादन 230.1 लाख टन है, जबकि पिछले साल 220.8 लाख टन था।