बिहार में शराबबंदी के बाद बदले हालातों का आकलन करने के लिए बनाई गई कमेटी में पांच सदस्यों को चुना गया है। कमेटी का मुखिया आबकारी विभाग के आबकारी अतिरिक्त आयुक्त (नीति) छोगा राम देवासी को बनाया गया है। सीएम गहलोत का मानना है कि गुजरात में शराबबंदी सही तरीके से लागू नहीं की गई, जिसके कारण वहां शराब का अवैध कारोबार होता है। शराबबंदी के कारण गुजरात में हालात सुधरने के बजाय बिगड़े हैं। गुजरात के बजाय बिहार में अधिक सही तरीके से शराबबंदी लागू की गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए सीआर देवासी की अगुवाई में एक कमेटी बनाकर वहां भेजी जा रही है। बिहार की 11 से 16 दिसंबर तक शराबबंदी की ग्राउंड रिपोर्ट तय करेगी कि राजस्थान में शराबबंदी होगी या नहीं। गौरतलब है कि बिहार में 1 अप्रैल 2016 को शराबबंदी लागू की गई थी। जिससे बिहार की सरकार को हर साल 4 हजार करोड़ रूपए राजस्व का नुकसान हो रहा है।
पांच सदस्यों की कमेटी बिहार में शराब बंदी के बाद सरकार को रेवेन्यू बंद होने से नुकसान, अपराधों में हुई कमी, बिहार के पर्यटन पर पड़े प्रभाव और लोगों के जीवन पर शराब बंदी का क्या असर पड़ा आदि जानकारियां जुटाएंगी। साथ ही कमेटी बिहार पुलिस, आबकारी विभाग के अधिकारी व अन्य संस्थाओं से भी जानकारी जुटाकर रिपोर्ट तैयार करेगी।
राजस्थान में हर साल आबकारी विभाग सरकार को हजारों करोड़ रूपए देता है साथ ही इसके टारगेट में हर साल 20 प्रतिशत की वृद्धि भी होती है। अगर ऐसे में राजस्थान में सरकार शराबबंदी करती है तो सरकार की हजारों करोड़ की आय बंद हो जाएगी।