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जयपुर

loans on farmers, राजेन्द्र राठौड़ का ये बड़ा बयान, सरकार पर लगाया ये गंभीर आरोप

This big statement of Rajendra Rathod regarding loans on farmers राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ Rajendra Rathod ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया हैं कि दौसा प्रशासन की ओर से पहले तो रामगढ़ पचवारा के जामुन की ढाणी में एक किसान परिवार के ग्रामीण बैंक के लोन को नहीं चुकाने पर किसान की जमीन की नीलामी शुरू कराई और फिर दबाव पड़ने पर यू टर्न लेते हुए नीलामी प्रक्रिया को रद्द करना पर्याप्त नहीं है।

जयपुरJan 19, 2022 / 06:35 pm

rahul

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जयपुर। राजस्थान विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ Rajendra Rathod ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया हैं कि दौसा प्रशासन की ओर से पहले तो रामगढ़ पचवारा के जामुन की ढाणी में एक किसान परिवार के ग्रामीण बैंक के लोन loans on farmers को नहीं चुकाने पर किसान की जमीन की नीलामी शुरू कराई और फिर दबाव पड़ने पर यू टर्न लेते हुए नीलामी प्रक्रिया को रद्द करना पर्याप्त नहीं है। राठौड़ ने एक बयान में कहा कि आज भी राष्ट्रीयकृत, अधिसूचित व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से 31 मार्च 2018 तक लिए गए अवधिपार अल्पकालीन फसली ऋण नहीं चुकाने के कारण राज्य के करीब 14 लाख किसान 9 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं जिनके खाते भी एनपीए घोषित हो चुके हैं और वह कर्जमाफी की बाट जोह रहे हैं।

वन टाइम सैटलमेंट की थोथी घोषणा—
राठौड़ ने कहा कि एक ओर सरकार 31 मार्च 2018 तक राष्ट्रीयकृत, अधिसूचित व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से लिए गए अवधिपार अल्पकालीन फसली ऋण की संपूर्ण कर्जमाफी एवं विधानसभा के तीनों बजट सत्रों में ‘’वन टाइम सैटलमेंट’’ की थोथी घोषणाएं कर दम्भ भरकर किसानों को गुमराह करने में लगी हुई है वहीं दूसरी ओर धरातल पर किसानों के कर्ज की राशि पर चक्रवृद्धि ब्याज करीब 7 गुना होने से किसानों की जमीनों की नीलामी का कार्य अनवरत रूप से प्रारम्भ हो गया है जिस वजह से पीड़ित किसान व उसका परिवार आत्महत्या करने को मजबूर है।
सरकार की कलई खुली—
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने एक तरफ नवंबर 2020 में राजस्थान विधानसभा में सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 60 को संशोधित कर सिविल प्रक्रिया संहिता (राजस्थान संशोधन) विधेयक-2020 में यह प्रावधान किया कि बैंक या किसी वित्तीय संस्थान का कर्ज नहीं चुका पाने की स्थिति में संबंधित बैंक या वित्तीय संस्थान किसान की 5 एकड़ तक की जमीन कुर्क या नीलाम नहीं कर सकेगा। वहीं दूसरी ओर सरकार की नाक के नीचे जितने किसानों की जमीनें 5 एकड़ से कम है उनकी जमीनें नीलाम होने से सरकार की कलई खुल गई है।
नोटिस निरस्त करें—
राठौड़ ने कहा कि वर्तमान में राष्ट्रीयकृत, अधिसूचित व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अवधिपार अल्पकालीन फसली ऋण लेने वाले लाखों किसान हैं। ऐसे में सिर्फ एक जगह ही नीलामी प्रक्रिया को निरस्त करना ऊंट के मुंह में जीरा समान कार्यवाही है। किसान हितैषी होने का ढोंग करने वाली कांग्रेस सरकार राज्य के विभिन्न जिलों में कर्ज नहीं चुका पाने के कारण जिन किसानों को जमीनें नीलाम होने का नोटिस मिला है उसे भी निरस्त कर किसानों को राहत प्रदान करनी चाहिए। क्योंकि सिर्फ दौसा ही नहीं बल्कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में किसानों को जमीन नीलामी के नोटिस मिल रहे हैं जिस कारण से उनमें सरकार के प्रति गहरा आक्रोश व्याप्त है।
कल्ला कमेटी ढाक के तीन पात रही—
राठौड़ ने कहा कि राज्य सरकार ने किसान कर्जमाफी के दक्षिणी राज्यों के मॉडल का विस्तृत अध्ययन के लिए कल्ला कमेटी बनाई गई जिसकी करीब दर्जनभर मीटिंग भी हुई। कमेटी ने इन राज्यों का दौरा भी किया लेकिन कर्जमाफी को लेकर ठोस कार्ययोजना प्रस्तुत नहीं कर सकी और नतीजा ढाक के तीन पात रहा। राठौड़ ने कहा कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सत्ता में आने के बाद 10 दिनों के भीतर किसान कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन अब तक सरकार ने किसानों का कर्जमाफ नहीं किया। वहीं राज्य सरकार राष्ट्रीयकृत, अधिसूचित व क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से 31 मार्च 2018 तक लिए गए अवधिपार फसली ऋण के लिए कभी लीड बैंक तो कभी केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर किसान कर्जमाफी के अपने वादे से यू टर्न ले रही है। जबकि कांग्रेस सरकार ने अपने नीतिगत दस्तावेज जनघोषणा पत्र में इसका कहीं भी उल्लेख नहीं किया था कि वह अवधिपार अल्पकालीन फसली ऋण को माफ नहीं करेगी।

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