दो ड्रोनों की मदद से किया नियंत्रण
आपको बता दें कि अजमेर जिले की नसीराबाद तहसील के साम्प्रोदा, सूरजपुरा और अराई तहसील के गोठियाना में टिड्डी दल ने पड़ाव डाला था। जहां टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से उपलब्ध करवाए गए दो ड्रोनों से टिड्डी दल पर हमला किया गया और उन पर नियंत्रण करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की। ड्रोन के माध्यम से लेम्बडासायहेलाथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी कीटनाशक का छिड़काव किया गया। एेसे स्थान जहां पर कंटीली झाडि़यां हैं या जो क्षेत्र ऊंचाई पर हैं और वहां ट्रेक्टर या फायर बिग्रेड नहीं जा पा रही वहां ड्रोन की मदद ली जा रही है।
टिड्डियों पर एयर स्ट्राइक
जोधपुर जिले के फलौदी स्थित मौखरी गांव में ड्रोन से टिड्डियों पर हमला किया गया। पांच घंटे चले ऑपरेशन में फसलों की दुश्मन बनी 80 फीसदी टिड्डियों का सफाया होने का दावा किया जा रहा है। आपको बता दें कि आमतौर पर रेत के टीलों, उबड़.खाबड़ जमीन, खेतों और पहाड़ी क्षेत्रों में गाडिय़ां आसानी से नहीं पहुंच पातीं, जिसके कारण यहां से टिड्डी बच कर निकल जाते हैं। ऐसे स्थानों पर ड्रोन से इन्हें नियंत्रित करने की कवायद की जा रही है। आपको बता दें कि ड्रोन का उपयोग प्रदेश में सबसे पहले जयपुर जिले के सामोद क्षेत्र में किया गया था। इसकी मदद से यहां पर टिड्डी नियंत्रण में काफी सहायता मिली थी। आपको बता दें कि एक ड्रोन की कीमत 10 लाख रुपए और वजन 25 किलो है। ड्रोन एक बार में 20 मिनट तक उड़ सकता है। ड्रोन में जीपीएस, केमिकल टैंक, रेंज सेंसर,ट्रांसमीटर और स्प्रे की नोजल लगी होती है।
आपको बता दें कि अजमेर जिले की नसीराबाद तहसील के साम्प्रोदा, सूरजपुरा और अराई तहसील के गोठियाना में टिड्डी दल ने पड़ाव डाला था। जहां टिड्डी चेतावनी संगठन की ओर से उपलब्ध करवाए गए दो ड्रोनों से टिड्डी दल पर हमला किया गया और उन पर नियंत्रण करने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की। ड्रोन के माध्यम से लेम्बडासायहेलाथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी कीटनाशक का छिड़काव किया गया। एेसे स्थान जहां पर कंटीली झाडि़यां हैं या जो क्षेत्र ऊंचाई पर हैं और वहां ट्रेक्टर या फायर बिग्रेड नहीं जा पा रही वहां ड्रोन की मदद ली जा रही है।
टिड्डियों पर एयर स्ट्राइक
जोधपुर जिले के फलौदी स्थित मौखरी गांव में ड्रोन से टिड्डियों पर हमला किया गया। पांच घंटे चले ऑपरेशन में फसलों की दुश्मन बनी 80 फीसदी टिड्डियों का सफाया होने का दावा किया जा रहा है। आपको बता दें कि आमतौर पर रेत के टीलों, उबड़.खाबड़ जमीन, खेतों और पहाड़ी क्षेत्रों में गाडिय़ां आसानी से नहीं पहुंच पातीं, जिसके कारण यहां से टिड्डी बच कर निकल जाते हैं। ऐसे स्थानों पर ड्रोन से इन्हें नियंत्रित करने की कवायद की जा रही है। आपको बता दें कि ड्रोन का उपयोग प्रदेश में सबसे पहले जयपुर जिले के सामोद क्षेत्र में किया गया था। इसकी मदद से यहां पर टिड्डी नियंत्रण में काफी सहायता मिली थी। आपको बता दें कि एक ड्रोन की कीमत 10 लाख रुपए और वजन 25 किलो है। ड्रोन एक बार में 20 मिनट तक उड़ सकता है। ड्रोन में जीपीएस, केमिकल टैंक, रेंज सेंसर,ट्रांसमीटर और स्प्रे की नोजल लगी होती है।
आपको बता दें कि अगर टिड्डी दलों पर ठीक ढंग से नियंत्रण नहीं होगा तो यह खरीफ सीजन में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन ने चार जून की अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ईरान और पाकिस्तान के रास्ते भारत में पूरे जून टिड्डयों का आना.जारी रहेगा। एेसे में जहां कहीं भी टिड्डी दल सक्रिय हैं, उनको समाप्त करने के लिए टिड्डी नियंत्रण संगठन और कृषि विभाग किसानों के साथ मिलकर प्रयास कर रहा है।