पिछले विधानसभा चुनाव में 8 से 5 सीट गंवाने वाली भाजपा (
BJP ) को लोकसभा में 7 सीटों पर जीत दिलाने में कामयाब रहे। हालांकि, एक विधानसभा सीट आदर्श नगर में जरूर हार का सामना करना पड़ा। यहां भी उनकी हार की बजाय स्थानीय कांग्रेस विधायक की सक्रियता लोगों के बीच ज्यादा फोकस में रही।
भाजपा ने बोहरा पर भरोसा जताया तो उन्होंने उस पर खरा उतरने के लिए सबका साथ, सबका विकास टैग लाइन की तर्ज पर आगे बढ़े। इस बीच इस चुनाव को वैश्य और ब्राहृमण प्रत्याशी बखूबी डायवर्ट किया, जिससे ज्यादा वैश्य समाज के मतदाताओं का ध्रुवीकरण होने से रोकने में कामयाब हो गए। इसमें जयपुर शहर अध्यक्ष मोहनलाल गुप्ता की भूमिका रही, क्योंकि वे भी वैश्य समाज हैं। इस कारण उन पर भी इसी ध्रुवीकरण को रोकने की जिम्मेदारी ज्यादा रही।
हालांकि, पिछले पांच वर्ष में उनकी जनता से दूरी ने उनकी कार्यशैली पर कई सवाल जरूर खड़े किए, लेकिन मोदी चेहरा और राष्ट्रवाद के फैक्टर के बीच उनकी यह कमी गौण हो गई। पिछली बार की तरफ इस बार भी मोदी का नाम काम कर गया।
भाजपा की जीत के मुख्य कारण : —प्रधानमंत्री का चेहरा जिसे ही पार्टी ने आगे रखा —बोहरा की सादगी और साफ छवि के कारण विपक्षी पार्टी ज्यादा नहीं घेर पाई —रूठे नेताओं का साथ पाने के लिए उन्हीं पर भरोसा जताकर चुनाव की कमान सौंपी
—संगठन से नजदीकी रही और बड़े नेताओं को साथ रखकर आगे बढ़े —भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं की सक्रियता और सोशल मीडिया का प्रभाव