scriptउड़ रही मास्टर प्लान की धज्ज्यिां, नोटिस के नाम पर अफसरों की हो रही जेब गरम | loksabha election 2019 : avidh nirman in jaipur | Patrika News
जयपुर

उड़ रही मास्टर प्लान की धज्ज्यिां, नोटिस के नाम पर अफसरों की हो रही जेब गरम

जयपुर में धड़ल्ले से हो रहे कर रहे अवैध निर्माण

जयपुरApr 20, 2019 / 01:35 pm

Deepshikha Vashista

jaipur

उड़ रही मास्टर प्लान की धज्ज्यिां, नोटिस के नाम पर अफसरों की हो रही जेब गरम

भवनेश गुप्ता / जयपुर. अवैध निर्माण किसी भी सूरत में वैध नहीं हो सकता है, लेकिन सरकारी नुमाइंदों को इससे बिल्कुल सरोकार नहीं है। कागजों में अवैध ठहराए जा चुकी ऐसी इमारतों को ध्वस्त करने की बजाय उलटे उसका संरक्षण करने में जुटे हैं। जबकि, मास्टर प्लान को लेकर हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश हैं कि इमारत के सेटबैक हिस्से में किए गए अवैध हिस्से को किसी भी सूरत में कम्पाउंड कर नियमित नहीं किया जा सकता है।
नगर निगम में ऐसा ही खेल चल रहा है। पहले तो बिल्डिंग बायलॉज के विपरीत निर्माण का रास्ता खोलते हैं, फिर शिकायत आए तो दिखावटी नोटिस दिया जाता है। फिर इसी नोटिस के आधार पर अवैध निर्माध धवस्त करने की बजाय उसे बचाने के लिए शुरू होता है लेनदेन का खेल। अर्थात पहले सेवा शुल्क लेकर अवैध निर्माण के प्रति आंखें बंद रखी जाती हैं।
यहां तीन उदाहरण सामने हैं, बाकी न जाने कितने ऐसे मामले हैं जहां कोर्ट आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही है। हर एक दिन शहर में ऐसे कई बड़े निर्माण सामने आ रहे हैं, जहां कार्रवाई की बजाय खानापूर्ति के नोटिस देने का खेल जारी है। इसके लिए पांच तरीकों पर काम कर रहे हैं, जिनके जरिए अवैध को वैध बनाते रहते हैं।

शकुन होटल, स्कीम

-स्कीम, सुभाष मार्ग स्थित शकुन होटल में बिल्डिंग बायलॉज की धज्जियां उड़ाते हुए निर्माण किया गया। होटल में एक सर्विस फ्लोर से लेकर स्वीपिंग पूल तक अवैध बना लिया गया। हर मंजिल पर नक्शे के विपरीत निर्माण किया गया। हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद अवैध निर्माण को वैध करने की फाइल चली। मामले का खुलासा हुआ तो महापौर सक्रिय हुए और भवन विनियम की पालना कराकर 10 दिन में रिपोर्ट देने के लिए आयुक्त को निर्देश दिए। इसके तहत होटल का अवैध हिस्सा ध्वस्त करना था लेकिन डेढ़ माह बाद भी एक ईंट तक नहीं हिलाई गई। यहां तक कि सड़क की जमीन पर कब्जा किया हुआ है। महापौर के आदेश को भी दबा दिया गया। गौरतलब है कि जोधपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद अवैध निर्माण किसी भी सूरत में वैध नहीं हो सकता।
अग्रवाल कॉलेज के सामने मिश्रा मार्केट

अग्रवाल कॉलेज के सामने मिश्रा मार्केट में भूखंड संख्या 115 से 118, 137 से 140 में अवैध रूप से कॉम्पलेक्स निर्माण शुरू किया। बिना अनुमति भूतल की छत डालने पर निगम ने सीलिंग की कार्रवाई की लेकिन भूखंडधारी ने सील तोड़ पहली मंजिल की छत भी डाल ली। इस चर्चित मामले में शिकायत हुई लेकिन निर्माण ध्वस्त नहीं किया गया। मामला बढ़ा तो निगम ने नोटिस थमा दिया और एफआइआर दर्ज कराकर इतिश्री कर ली। न निर्माण ध्वस्त किया, न दोबारा सील किया। जबकि उपायुक्त ने विधि परामर्शदाता को भेजे पत्र में यह भूमि सरकारी बताई थी।
सत्कार शॉपिंग सेंटर, शिवानंद मार्ग

सत्कार शॉपिंग सेंटर, शिवानंद मार्ग में धड़ल्ले से चौमंजिला कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स का निर्माण चल रहा है। शिकायत के बाद उपायुक्त की नींद खुली लेकिन सिर्फ खुद को बचाने के लिए नोटिस जारी कर कागजी खानापूर्ति कर ली गई। इसके बाद हाथ पर हाथ धरकर बैठ गए। शिकायतों का दौर फिर चला लेकिन कथित दबाव में कार्रवाई नहीं हुई। इस बीच मंजिलों की संख्या बढ़ती रही।
कोर्ट का यह है आदेश..
मास्टर प्लान को लेकर जोधपुर हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें करीब 35 दिशा—निर्देश जारी कर प्रदेशवासियों को बड़ी राहत दी। कोर्ट सरकार को मास्टर प्लान के अक्षरश: पालन के निर्देश दिए। इसमें अवैध निर्माण को वैध नहीं करने के निर्देश भी शामिल है।
जबकि, राज्य सरकार इससे बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट भी पहुंची थी लेकिन वहां भी मास्टर प्लान की पालना करने के ही आदेश दिए।
ये 5 तरीके हैं, जो अवैध को वैध बनाते रहते हैं

-अवैध निर्माण का मामला सामने आते ही अफसरों के चेहरे खिल जाते हैं। कई अफसर तो ऐसी शिकायत का इंतजार करते हैं। मौके पर पहुंच निर्माण स्वीकृति मांगते हैं।
-नोटिस जारी कर निर्धारित मियाद में अवैध निर्माण हटाने के निर्देश देते हैं। निर्माणकर्ता रुकवाने के जुगाड़ में जुटता है।

-नोटिस का इंद्राज होता है व रिपोर्ट उच्च स्तर तक भेजनी होती है, फर्जी नोटिस भी देते रहे हैं। साठगांठ होते ही फर्जी नोटिस नष्ट कर देते हैं।
-निर्माण हटाने की मियाद देने की आड़ में अवैध निर्माणकर्ताओं को कानूनी प्रक्रिया अपनाने का मौका देते हैं।

-कई मामलों में दबाव आने पर गली निकालने में भी माहिर हैं। लवाजमे के साथ पहुंचते हैं व कुछ हिस्सा हटाकर दिखावटी कार्रवाई कर लौट आते हैं।
नोटिस देना प्रक्रिया का ही हिस्सा है। फिर भी बिल्डिंग बॉयलाज के विपरीत निर्माण नहीं हटाते है तो निगम स्तर पर हटाने की कार्रवाई होती है। शकुन होटल मामले में अफसरों से रिपोर्ट लेकर ही कुछ बता सकता हूं। अन्य मामलों में भी कार्रवाई होगी।
विजयपाल सिंह, निगम आयुक्त

Home / Jaipur / उड़ रही मास्टर प्लान की धज्ज्यिां, नोटिस के नाम पर अफसरों की हो रही जेब गरम

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो