ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी कालरात्रि को भद्रकाली, भैरवी, रुद्राणी, चामुंडा, चंडी, धुमोरना आदि भी कहा जाता है. माता काली और कालरात्रि एक ही हैं। देवी कालरात्रि रात की नियंत्रक देवी हैं। कालरात्रि माता दुष्टों का विनाश करने वाली हैं।
उनके स्मरण भर से राक्षस,भूत,पिशाच या नकारात्मक शक्तियां पलायन कर जाती हैं |मां कालरात्रि के इनके तीन नेत्र हैं, सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गर्दभ (गदहा) पर सवार रहती हैं। सांस के साथ आग की लपटें निकलतीं हैं। एक हाथ वरमुद्रा में और एक हाथ अभयमुद्रा में रहता है। एक अन्य हाथ में लोहे का कांटा तथा दूसरे खड्ग (कटार) रहती है।
मंत्र और श्लोक
1.
ॐ ऐं ह्रीं क्रीं कालरात्रै नमः
2.
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता, लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा, वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयन्करि
3.
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
हिंदी भावार्थ : हे मां! सर्वत्र विराजमान और कालरात्रि के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बारंबार प्रणाम है या मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूूं।