महाराणा प्रताप सेना ने यह दावा किया है कि ख्वाजा साहब की दरगाह के स्थान पर पहले एक शिव मंदिर था। प्रताप सेना ने एक फोटो भी जारी किया है, फोटो को दरगाह की खिड़कियों का बताया जा रहा है। उन खिड़कियों पर स्वस्तिक के निशान बने हुए हैं। इसको लेकर सेना ने सीएम गहलोत और केंद्र में मोदी सरकार को भी पत्र लिखा है।
यूं तो दरगाह की सुरक्षार्थ हाड़ी रानी बटालियन तैनात है। लेकिन संवेदनशील मामला होने से प्रशासन ने तत्काल पुलिस का अतिरिक्त जाप्ता तैनात किया। प्रशासनिक और पुलिस टीम ने दरगाह परिसर का जायजा लिया। साथ ही लोगों को शांति और धैर्य रखने की अपील की।
सूफी संत ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह विश्व प्रसिद्ध है। ख्वाजा साहब 11 वीं शताब्दी में ईरान के संजर प्रांत से अजमेर आए थे। उन्होंने अजमेर में रहकर इबादत की थी। प्रतिवर्ष रजब माह में छह दिन तक उनका सालाना उर्स भरता है। इसमें भारत सहित विभिन्न देशों के जायरीन शिरकत करते हैं। दरगाह परिसर में ख्वाजा साहब की पत्नी सहित कई लोगों की मजार है।
दुनिया में सूफीवाद की शुरुआत अजमेर से मानी जाती है। ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ही सूफीवाद के जनक माने जाते हैं। उनके बाद हजरत निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी सहित अन्य संतों ने सूफी विचार धारा को आगे बढ़ाया।