इस बयान के बाद कटारिया का पूरे प्रदेशभर में विरोध हो रहा है। जयपुर में भाजपा मुख्यालय के बाहर उनके पोस्टर पर स्याही पोत दी गई तो कई जगहों पर सड़कों पर उतरकर राजपूत समाज ने कटारिया के खिलाफ जमकर नारेबाजी और प्रदर्शन किया गया। हालांकि कटारिया दो बार इस बयान को लेकर माफी मांग चुके हैं, लेकिन राजपूत समाज में अंदरूनी गुस्सा अब भी बरकरार है। ऐसे में पार्टी इस गुस्से को दबाने के लिए पार्टी के अनुभवी राजपूत समाज के नेताओं को आगे कर रही है। ताकि चुनाव पर इसका कोई गलत इफेक्ट नहीं पड़े।
दीया ने लिखा कटारिया मांग चुके हैं माफी राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने सोशल मीडिया पर लिखा कि एक चुनावी सभा में कटारिया द्वारा भावावेश में आकर प्रातः स्मरणीय वीर शिरोमणि हिंदुआ सूरज महाराणा प्रताप के बारे में जिन शब्दों का प्रयोग किया गया, वह उचित नहीं थे, जिसके लिए गुलाबचंद कटारिया ने सार्वजनिक तौर पर माफ़ी भी मांगी है। राष्ट्रीय गौरव, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप के प्रति हम सभी के मन में बहुत आदर व सम्मान है। ऐसे वीर महापुरुषों के बारे में अनुचित शब्दों का प्रयोग दुर्भाग्यपूर्ण है और सर्व समाज की भावनाएं आहत हुई है। मैं आप सभी की भावनाओं की कद्र व सम्मान करती हूं। मेवाड़ के गौरव को बनाए रखने में भाजपा परिवार सदैव अपने कर्तव्यों का निर्वाहन करता रहेगा।
इसलिए पड़ रही है जरूरत दरअसल राजसमंद सीट मेवाड़ क्षेत्र में आती है। यहां से किरन माहेश्वरी की पुत्री दीप्ति माहेश्वरी मैदान में हैं। भाजपा इस सीट पर जीत को लेकर आश्वस्त है। राजसमंद में राजपूत समाज के वोटरों की संख्या अच्छी खासी है। राजपूत हमेशा से भाजपा का परम्परागत वोट बैंक रहा है। ऐसे में राजपूत रूठे तो भाजपा को उप चुनाव में जीत का स्वाद चखने से वंचित रहना पड़ सकता है। हालांकि पार्टी के लिए अभी तक एक पॉजिटिव बात यह है कि किसी भी बड़े राजपूत नेता की ओर से इस बयान को लेकर कोई वक्तव्य नहीं आया है। मगर नेगेटिव यह भी है कि राजपूत समाज की चुप्पी कहीं पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचा दे।